Air Pollution And Cancer: सिर और गले के कैंसर का कारण बन सकता है वायु प्रदूषण; रिसर्च में बड़ा खुलासा
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Air Pollution And Cancer:  भारत में वायु प्रदूषण की समस्या हर साल बढ़ती जा रही है. खासकर सर्दियों में दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. अब एक नई रिसर्च ने वायु प्रदूषण से जुड़े एक और खतरनाक पहलू पर प्रकाश डाला है. वायु प्रदूषण से सिर और गले के कैंसर का खतरा बढ़ने की संभावना है. अमेरिका की वेन स्टेट यूनिवर्सिटी, जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और मास जनरल ब्रिघम द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह संकेत मिला है कि प्रदूषण के कारण केवल श्वसन संबंधी समस्याएं ही नहीं, बल्कि सिर और गले के कैंसर का भी खतरा बढ़ सकता है.

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क्या कहता है रिसर्च?

इस रिसर्च का शीर्षक “Air Pollution Exposure and Head and Neck Cancer Incidence” है और इसे वैज्ञानिक पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है. रिसर्च टीम ने पाया कि PM2.5 जैसे प्रदूषणकारी तत्वों के संपर्क में आने से सिर और गले में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. यह अध्ययन बताता है कि जिस प्रकार सिगरेट पीने से गले और मुंह का कैंसर होता है, उसी तरह लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से भी यह खतरा बढ़ सकता है.

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इस अध्ययन के लिए अमेरिका के नेशनल कैंसर डेटा (2002 से 2012) का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि जिन क्षेत्रों में PM2.5 का स्तर अधिक था, वहां 5 साल के बाद सिर और गले के कैंसर की दर बढ़ी हुई पाई गई. ये आंकड़े भारत जैसे देशों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जहां PM2.5 का स्तर औद्योगिक प्रदूषण, वाहन उत्सर्जन और फसल जलाने के कारण अत्यधिक बढ़ जाता है.

प्रदूषित हवा में छिपे खतरे

विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण के कारण हमारे श्वसन तंत्र में हानिकारक तत्व जम जाते हैं. जैसे कि CK बिड़ला अस्पताल, दिल्ली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉ. मंदीप सिंह मल्होत्रा का कहना है, "प्रदूषित हवा में मौजूद बड़े-बड़े कण और कार्बन यौगिक जैसे बेंजीन और सल्फर यौगिक गले और नाक की सुरंगों में जमा होकर वहां की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. इस प्रकार लंबे समय तक संपर्क में रहने से कोशिकाओं में म्यूटेशन (अस्थिरता) होने लगती है, जो कैंसर का कारण बन सकती है."

भारत में बढ़ रहा कैंसर का खतरा

भारत में वायु प्रदूषण के कारण सिर, गले और फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. डॉ. मल्होत्रा बताते हैं कि प्रदूषण से गले की सुरंग, नासिका (नाक), नासोफैरिंक्स, लैरिंक्स (वॉयस बॉक्स) और ट्रेकिया (श्वासनली) पर खास असर पड़ता है. इन क्षेत्रों में लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से कोशिकाओं को अपनी सुरक्षा करने का समय नहीं मिलता और इससे उत्पन्न होने वाले म्यूटेशन से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. प्रदूषण का असर सिर्फ हवा के साथ शरीर में घुसने पर ही नहीं, बल्कि मुंह से सांस लेने पर भी होता है, जिससे जीभ और गले के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.

वायु गुणवत्ता सुधारने की जरूरत

भारत में हर साल सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिलती है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अक्टूबर में एक सलाह जारी की थी, जिसमें लोगों को वायु प्रदूषण से बचने के उपाय सुझाए गए. सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया कि वे अपने नागरिकों को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) चेक करने, भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचने, और कम प्रदूषित ईंधन का उपयोग करने के लिए जागरूक करें.