दुनिया के सबसे लंबे समय से चल रहे वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड उस टीम के पास है जो ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में "पिच ड्रॉप प्रयोग" चला रही है. यह प्रयोग 1927 से चल रहा है और अब तक 100 साल से ज्यादा समय बिता चुका है. और दिलचस्प बात यह है कि यह प्रयोग अगले एक शतक तक जारी रह सकता है!
क्या है ये एक्सपेरिमेंट?
इस एक्सपेरिमेंट की शुरुआत 1927 में ऑस्ट्रेलियाई भौतिक विज्ञानी थॉमस पारनेल ने की थी. इसका उद्देश्य "पिच" नामक एक पदार्थ की तरलता और उच्च विकिरणता (viscosity) को मापना था. पिच, टार से उत्पन्न एक पदार्थ है, जो दुनिया के सबसे घने (thickest) ज्ञात तरल पदार्थों में से एक है. यह पहले नावों को वाटरप्रूफ बनाने के लिए इस्तेमाल होता था.
पारनेल ने पिच का एक नमूना लिया और उसे एक कांच की बंद फ़नल में डाला, जिसके स्टेम को सील कर दिया. पिच को ठंडा होने दिया गया और तीन साल बाद उन्होंने फ़नल का स्टेम काट दिया. इसके बाद उन्होंने प्रतीक्षा शुरू की. विश्वविद्यालय के अनुसार, "यह प्रयोग एक प्रदर्शन के रूप में स्थापित किया गया था और इसे विशेष पर्यावरणीय स्थितियों में नहीं रखा गया." इसके बजाय, इसे एक डिस्प्ले कैबिनेट में रखा गया है, ताकि पिच के प्रवाह की दर तापमान में मौसमी बदलावों के साथ बदलती रहे.
क्या हुआ इस एक्सपेरिमेंट के साथ?
पारनेल के बाद, प्रोफेसर जॉन मेनस्टोन ने 1961 में इस प्रयोग को संभाला और इसे 52 वर्षों तक जारी रखा. तब से, पिच ने बहुत धीरे-धीरे फ़नल से टपकना शुरू किया, इतना धीरे कि पहले ड्रॉप को गिरने में आठ साल लग गए थे, और अगले पांच ड्रॉप्स गिरने में 40 साल से ज्यादा का समय लगा.
If you're ever frustrated with an experiment, consider the example of the Queensland Pitch Drop Experiment begun in 1927, the longest running experiment... and I want to really make this land for you... STILL HAS NOT technically yielded a single direct observation as of 2022. pic.twitter.com/YaR1e2NAhM
— c0nc0rdance (@c0nc0rdance) November 20, 2022
अब तक, इस प्रयोग में कुल नौ ड्रॉप्स गिर चुके हैं, और अगले दशक में एक और ड्रॉप गिरने की संभावना है. लेकिन इसके बावजूद, यह प्रयोग इतना धीमा है कि अब तक किसी ने भी गिरते हुए ड्रॉप को देखा नहीं है!
इस एक्सपेरिमेंट से क्या सीखा गया?
पिच का रूप सामान्यतः ठोस (solid) लगता है, जो कमरे के तापमान पर आसानी से टूट सकता है, और इसे हथौड़े से आसानी से चटकाया जा सकता है. लेकिन इस प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि पिच का चिपचिपापन, यानी इसकी प्रवाहशीलता, पानी की तुलना में लगभग 100 अरब गुना ज्यादा है. इसके अलावा, अब भी फ़नल में इतनी पिच बची हुई है कि यह प्रसिद्ध प्रयोग अगले 100 सालों तक चल सकता है!
Did you know?
There's an experiment that has been continuously running since 1927. In this time, only 9 drops have fallen.
The most famous pitch drop experiment was set up by physicist Thomas Parnell at the University of Queensland in 1927.
During 88 years, the funnel has… pic.twitter.com/be83nmGAYY
— Massimo (@Rainmaker1973) January 29, 2024
इस एक्सपेरिमेंट को मिल चुकी है इग नोबेल पुरस्कार
2005 में, थॉमस पारनेल और प्रोफेसर जॉन मेनस्टोन (मृत्युपश्चात) को इग नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह एक व्यंग्यात्मक पुरस्कार है जो वैज्ञानिक शोध के obscure और तात्कालिक उपलब्धियों को उजागर करता है. इग नोबेल पुरस्कार का उद्देश्य ऐसी शोध को सम्मानित करना है, जो लोगों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती है.
"पिच ड्रॉप प्रयोग" न केवल एक असामान्य और अजीब वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि विज्ञान में कभी-कभी परिणाम धीमे होते हैं, लेकिन उनकी गहराई और महत्व वर्षों के बाद सामने आते हैं. अगली बार जब आप धीमी गति से चलने वाली चीजों पर विचार करें, तो इस प्रयोग के बारे में जरूर सोचें, जो अगले शतक तक हमें चमत्कृत कर सकता है!