जेम्स वेब ने "एल गोरदो" क्लस्टर की नई तस्वीर भेजी है, जिसमें कई असाधारण और कुछ अस्पष्ट सी आकाशगंगाएं दिख रही हैं.एल गोरदो, सैकड़ों आकाशगंगाओं का एक गुच्छा है. यह तब मौजूद था, जब ब्रह्मांड की उम्र करीब 620 करोड़ साल थी. अब तक की जानकारी के मुताबिक, यह उस वक्त मौजूद ब्रह्मांड का सबसे विशालकाय झुंड था. खगोलशास्त्रियों की अल गोरदो में खास दिलचस्पी की वजह है ग्रैविटेशनल लेंस की भूमिका निभाने की इसकी शक्ति.
कुदरती मैग्निफाइंग ग्लास
गैलेक्सी जितनी दूर होगी, उतनी ज्यादा धुंधली दिखेगी. इसीलिए बेहद ताकतवर टेलिस्कोपों के लिए भी बेहद दूरी की गैलेक्सियों को देखना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में कुदरती मैग्निफाइंग ग्लास मदद करता है.
आइंस्टाइन के मुताबिक, किसी विशाल खगोलीय पिंड का गुरुत्वाकर्षण इतना घना हो सकता है कि वो स्पेस के फैब्रिक को ही तोड़-मरोड़ सकता है. अंतरिक्ष में गैलेक्सियों के झुंड (क्लस्टर), सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण वाली खगोलीय संरचनाओं में हैं.
जब बहुत दूरी पर स्थित गैलेक्सी से निकला प्रकाश गैलेक्सी क्लस्टर से होकर गुजरता है, तो क्लस्टर मैग्निफाइंग ग्लास का काम करता है और रोशनी को बढ़ाता है. सामान्य स्थिति में रोशनी अपनी सामान्य राह पर आगे बढ़ती, लेकिन क्लस्टर के कारण वह डिस्टॉर्ट हो जाती है और टेलिस्कोप उसे देख पाते हैं. और इस तरह हम बेहद दूर स्थित गैलेक्सी को ज्यादा अच्छी तरह देख पाते हैं. इसी इफेक्ट को ग्रैविटेशनल लेंसिंग कहा जाता है. यह भूमिका इंसानी चश्मे की तरह ही है.
नई तस्वीर में क्या है खास?
इसकी लेंसिंग के कारण दूरी पर स्थित आकाशगंगाओं की चमक बढ़ती है और उनका आकार भी बड़ा दिखता है. नासा के मुताबिक, एल गोरदो की तस्वीर की सबसे प्रभावशाली चीजों में से एक है, एल आंसोएलो उर्फ फिशहुक.
इसे तस्वीर में दाहिनी ओर ऊपर की तरफ देखा जा सकता है. यह चमकीले लाल रंग का वृत्ताकार पिंड है. इस आकाशगंगा से रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में 1,060 करोड़ साल लगे. लेंसिंग के कारण खगोलशास्त्री यह जान सके कि यह पार्श्व आकाशगंगा तश्तरी के आकार की है. साथ ही, इसके बनने के इतिहास का भी अध्ययन किया जा सका.
तस्वीर का एक और खास ब्योरा है, ला फ्लाका. यह भी एक पार्श्व आकाशगंगा है जिसकी रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 1,100 करोड़ साल लगे. यह लंबा और पतले आकार का है. इसे तस्वीर के मध्य हिस्से में बाईं ओर देखा जा सकता है.
एसएम/एसबी