AI पूरी इंसानियत को खत्म कर देगा, 'तबाही के भविष्यवक्ता' की डरावनी चेतावनी
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर जहां एक तरफ बड़ी-बड़ी उम्मीदें हैं, वहीं कुछ एक्सपर्ट्स इसे इंसानियत के लिए सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं AI रिसर्चर एलिएजर युडकोव्स्की, जिन्हें उनके डरावने दावों के कारण 'तबाही का भविष्यवक्ता' (Prophet of Doom) भी कहा जाता है. उन्होंने एक बार फिर अपनी चेतावनी दोहराई है कि AI टेक्नोलॉजी मानव जाति का सर्वनाश कर देगी.

माना जाता है कि युडकोव्स्की उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने AI के खतरों के बारे में दुनिया को आगाह किया था. उनके विचारों ने OpenAI के सैम ऑल्टमैन और Grok के एलन मस्क जैसे इंडस्ट्री के बड़े नामों को भी प्रभावित किया है.

"अगर किसी ने इसे बनाया, तो हर कोई मरेगा"

युडकोव्स्की ने अपनी नई किताब "If Anyone Builds It, Everyone Dies" में साफ-साफ लिखा है, "अगर दुनिया में कहीं भी, किसी भी कंपनी या समूह ने मौजूदा तकनीक का इस्तेमाल करके एक आर्टिफिशियल सुपरइंटेलिजेंस बना लिया, तो धरती पर मौजूद हर एक इंसान की मौत हो जाएगी."

युडकोव्स्की मशीन इंटेलिजेंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (MIRI) के संस्थापक हैं, जो एडवांस AI से होने वाले खतरों पर स्टडी करता है. उनका कहना है कि उनका लक्ष्य AI के विकास को पूरी तरह से रोकना है, क्योंकि दांव पर पूरी इंसानियत का अस्तित्व है.

खतरा क्या है?

युडकोव्स्की को "इंटेलिजेंस एक्सप्लोजन" (intelligence explosion) का डर है. इसका मतलब है कि AI की क्षमता अचानक बेकाबू होकर इतनी बढ़ जाएगी कि एक ऐसी सुपरइंटेलिजेंस बन जाएगी जो इंसानों के नियंत्रण से पूरी तरह बाहर होगी. उनका तर्क है कि ऐसे AI को इंसानी मूल्यों और नैतिकता के साथ जोड़ना लगभग असंभव है.

उनकी निराशा इस हद तक बढ़ गई है कि 2022 में उन्होंने अपनी संस्था MIRI का फोकस बदलकर "सम्मान के साथ मौत" (death with dignity) कर दिया. उन्होंने यह मान लिया है कि इंसानियत की हार तय है और इस लड़ाई को लड़ने का कोई फायदा नहीं है.

उन्होंने लिखा, "यह अब साफ है कि इंसानियत इस समस्या को हल नहीं करने वाली है, और न ही वह इसके लिए बहुत कोशिश करेगी."

युडकोव्स्की ने AI के विकास को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि करने और यहां तक कि अगर कोई देश छिपकर सुपरह्यूमन AI बना रहा है, तो उसके डेटा सेंटरों पर बमबारी करने जैसे कठोर सुझाव भी दिए हैं.

नौकरियों पर भी मंडरा रहा है खतरा

AI के खतरों के बारे में चेतावनी देने वाले युडकोव्स्की अकेले नहीं हैं. 'AI के गॉडफादर' माने जाने वाले जेफ्री हिंटन ने हाल ही में कहा था कि AI से कंपनियां तो बहुत अमीर हो जाएंगी, लेकिन इसकी कीमत आम कर्मचारियों को अपनी नौकरियां खोकर चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा, "अमीर लोग कर्मचारियों की जगह AI का इस्तेमाल करेंगे. इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैलेगी और कुछ लोग बहुत ज्यादा अमीर हो जाएंगे जबकि ज्यादातर लोग गरीब हो जाएंगे. यह AI की गलती नहीं है, यह पूंजीवादी व्यवस्था की गलती है."

इसी तरह, लुइसविले विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर रोमन याम्पोल्सकी ने दावा किया है कि 2030 तक AI 99 प्रतिशत कर्मचारियों को बेरोजगार कर सकता है. उनके अनुसार, कोडर और प्रॉम्प्ट इंजीनियर भी इस स्वचालन (automation) की लहर से नहीं बच पाएंगे, जो लगभग सभी नौकरियों को खत्म कर सकती है.