इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि पैरालिसिस से पीड़ित एक कर्मचारी जो अपनी स्थिति के कारण कार्यालय आने की स्थिति में नहीं है, वह चिकित्सा अवकाश (Medical Leave) के दौरान भुगतान पाने का पूरा हकदार है. जस्टिस अजीत कुमार की हाई कोर्ट की बेंच ने अपने कर्मचारी के वेतन में उस अवधि के लिए कटौती करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करते हुए कहा, जब वह पैरालिसिस से पीड़ित होने के बाद चिकित्सा अवकाश पर कार्यालय से अनुपस्थित था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह भी पाया कि इस तरह के फैसले ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. HC on Wife's Maintenance: जो पति-पत्नी कमा सकते हैं लेकिन बेरोजगार रहना चाहते हैं, उन्हें अपने साथी पर भरण-पोषण का बोझ नहीं डालना चाहिए.

हाई कोर्ट ने कर्मचारी के परिवार को भुगतान से इनकार करने के लिए राज्य की आलोचना की, साथ ही कहा कि यह कल्पना करना भयानक और काफी निराशाजनक है कि जब वह लकवाग्रस्त हालत में बिस्तर पर पड़ा था तो परिवार एक भी रुपये के बिना कैसे जीवित रहा.

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