इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) का उद्देश्य किशोरों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को कभी भी आपराधिक अपराध नहीं मानना है. इस अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, लेकिन आजकल इसका दुरुपयोग बच्चों का शोषण करने के लिए किया जा रहा है.
कोर्ट ने कहा- "POCSO को 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया था. आजकल यह अक्सर उनके शोषण का एक साधन बन गया है. इस अधिनियम का उद्देश्य किशोरों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी नहीं था."
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि जब POCSO मामलों में जमानत याचिकाएं आती हैं, तो अदालतों को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या रिश्ता प्यार पर आधारित सहमति से बना था या नहीं.
POCSO Act not meant to criminalise consensual romantic relationships between adolescents: Allahabad High Court
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— Bar & Bench (@barandbench) November 1, 2023
अदालत के आदेश में कहा गया, "जमानत देते समय प्यार से पैदा हुए सहमति संबंध के तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि अगर पीड़िता के बयान को नजरअंदाज कर दिया गया और आरोपी को जेल के पीछे पीड़ा सहने के लिए छोड़ दिया गया तो यह न्याय की विकृति होगी."
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