Fact Check: आरोग्य सेतु ऐप का क्या भारत सरकार निगरानी के लिए कर रही है इस्तेमाल? इस दावे की जांच कर PIB ने बताई सच्चाई
PIB Fact Check (Photo Credits: Twitter/@PIBFactCheck)

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर भारत सहित पूरी दुनिया में जारी है. कोविड-19 से संक्रमित मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना के प्रकोप को देखते हुए 14 अप्रैल तक देश में लॉकडाउन का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया है. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते लोग कितने सुरक्षित हैं या उन्हें संक्रमण का कितना खतरा है? इन सवालों की जानकारी देने के लिए भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu App) लॉन्च किया  है. यह ऐप सभी को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से आगाह करने और जोखिम की पहचान करने में मदद करता है. इस ऐप को एंड्रॉयड और आईफोन दोनों मोबाइल फोन यूजर्स डाउनलोड कर सकते हैं. सभी लोग ब्लूटूथ, जीपीएस, मोबाइन नंबर इत्यादि का सही से इस्तेमाल कर बहुत आसानी से आरोग्य सेतु ऐप यूज़ कर सकते हैं.

बता दें कि केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप को लॉन्च करते ही इसका बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही है. हाल ही में एक एक प्रमुख समाचार पत्र ने आरोप लगाया है कि इस ऐप को विकसित करने वाली राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र इसका उपयोग निगरानी के लिए कर रही है. यह भी पढ़े-Fact Check: भारत में लॉकडाउन की बढ़ सकती है अवधि? इस दावे के साथ वायरल हो रहे मैसेज की PIB ने पड़ताल कर बताई सच्चाई

पीआईबी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस दावे को खारिज करते हुए बताया कि ऐप यूजर के लोकेशन और डेटा को किसी भी शख्स के संवेदनशील डेटा से लिंक नहीं करता है. साथ ही यह यूजर्स को हैकिंग की चपेट में नहीं लेकर जाती है.

PIB का ट्वीट-

वही अब तक गूगल प्ले स्टोर पर आरोग्य सेतु ऐप को 10 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है. बताना चाहते है कि कोरोना ट्रैकिंग ऐप आरोग्य सेतु, इंग्लिशहिंदी, मराठी, गुजराती सहित कुल 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है.

Fact check

Fact Check: आरोग्य सेतु ऐप का क्या भारत सरकार निगरानी के लिए कर रही है इस्तेमाल? इस दावे की जांच कर PIB ने बताई सच्चाई
Claim :

आरोग्य सेतु ऐप को विकसित करने वाली राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र इसका उपयोग निगरानी के लिए कर रही है  

Conclusion :

पीआईबी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस दावे को खारिज करते हुए बताया कि ऐप यूजर के लोकेशन और डेटा को किसी भी शख्स के संवेदनशील डेटा से लिंक नहीं करता है. साथ ही यह यूजर्स को हैकिंग की चपेट में नहीं लेकर जाती है.

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