
प्रत्येक वर्ष 8 मई को दुनिया भर में विश्व रेड क्रॉस (रेड क्रिसेंट दिवस) मनाया जाता है. यह दिवस रेड क्रॉस के तहत काम करने वाले लाखों स्वयंसेवकों एवं कर्मचारियों के मानवीय कार्यों के सम्मान स्वरूप मनाया जाता है. वस्तुतः यह दिन हेनरी डुनेंट को उनके जन्मदिन के सौगात के रूप में अर्पित है, जो रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) के संस्थापक थे, तथा नोबेल शांति पुरस्कार के पहले विजेता भी थे. यह वैश्विक पालन युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, महामारी की स्थितियों और अन्य संकटों का सामना करने स्वैच्छिक सेवा और एकता का स्मरण कराता है. यह आयोजन उन मूल मानवीय सिद्धांतों के बारे में शिक्षित करने का भी काम करता है, जो इस वैश्विक आंदोलन का मार्गदर्शन करते हैं
विश्व रेड क्रॉस 2025 की थीम
इस वर्ष साल 2025 का विश्व रेड क्रॉस की आधिकारिक थीम ‘मानवता को जीवित रखना’ है. यह थीम रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो सहायता प्रदान करते हैं, जहां इसकी सर्वाधिक आवश्यकता होती है. युद्ध से लेकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों और शरणार्थी शिविरों तक, स्वयंसेवक करुणा और तटस्थता के साथ कार्य करना जारी रखते हैं. यह थीम मानवीय सिद्धांतों की रक्षा की तत्काल आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है. ‘मानवता को जीवित रखना’ जमीनी स्तर पर काम करने वालों के लिए एक श्रद्धांजलि है, और कार्रवाई के माध्यम से शांति, दया और उम्मीदों का हाथ फैलाकर उनके काम का समर्थन करने का आह्वान है. यह भी पढ़ें : Maharana Pratap Jayanti 2025: आज के युवाओं एवं नेताओं को महाराणा प्रताप के जीवन से सीखने योग्य कुछ फैक्ट!
विश्व रेड क्रॉस का इतिहास
आधिकारिक तौर पर विश्व रेड क्रॉस का पहला आयोजन साल 1948 में हेनरी डुनेंट की जन्म तिथि 8 मई को किया गया था. डुनेंट के मन में यह विचार साल 1859 में सोलफेरिनो से युद्ध की भयावहता देखने के बाद उत्पन्न हुआ.. उन्होंने स्वैच्छिक राहत संगठनों की स्थापना की वकालत की. अंततः 1863 में रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति का निर्माण हुआ और जिनेवा सम्मेलनों को अपनाया गया. उनकी इस विरासत के तहत करीब 192 राष्ट्रीय समितियों के गठन को प्रेरित किया गया, जिससे रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन आज की दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय नेटवर्क बन चुका है.
विश्व रेड क्रॉस एवं रेड क्रिसेंट दिवस का महत्व
विश्व रेड क्रॉस दिवस उन लाखों स्वयंसेवकों के प्रति श्रद्धा-सुमन है, जो दूसरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करते हैं. ये लोग कठिन परिस्थितियों में भी पीड़ितों की सहायता के लिए खुद को जोखिम में डालने से घबराते नहीं हैं. इसके महत्व को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है.
मान्यता: आपदाओं, युद्ध और सेहत की स्थितियों के दौरान सहायता प्रदान करने वाले स्वयंसेवकों और कर्मचारियों के निस्वार्थ योगदान को मान्यता दी जाती है.
जागरूकता: आंदोलन का मार्गदर्शन करने वाले मौलिक सिद्धांतों के बारे में सार्वजनिक चेतना को बढ़ाता है.
प्रेरणा: व्यक्ति विशेष को मानवीय गतिविधियों में भाग लेने, करुणा और सेवा भाव को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है.