World Red Cross and Red Crescent Day 2019: दुनिया भर में हर साल 8 मई को वर्ल्ड रेडक्रॉस डे यानी विश्व रेड क्रॉस दिवस (World Red Cross Day) मनाया जाता है. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसायटी (International Red Cross Society) के संस्थापक जॉन हेनरी ड्यूनैंट के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. उनका जन्म 8 मई 1828 में हुआ था. साल 1901 में उन्हें मानव सेवा के कार्यों में अपना अहम योगदान देने के लिए पहला नोबेल पुरस्कार मिला था. विश्व रेड क्रॉस दिवस मनाने का मकसद इंटरनेशनल रेड क्रॉस और रेड क्रेसेंट मूवमेंट (International Red Cross and Red Crescent Movement) के सिद्धांतों को बढ़ावा देना और इसकी खुशी को सेलिब्रेट करना है.
बता दें कि इंटरनेशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस नाम की यह संस्था सशस्त्र हिंसा और युद्ध के पीड़ितों और युद्धबंदियों के लिए काम करती है. इस संस्था की स्थापना साल 1863 में हुई थी और इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के जिनीवा में है. यह उन कानूनों को प्रोस्ताहित करती है, जिससे युद्ध पीड़ितों की सुरक्षा होती है. चलिए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम.
इस दिवस का इतिहास
रेड क्रॉस की शुरुआत पहले विश्व युद्ध के बाद रेड क्रॉस के 14वें इंटरनेशनल कांफ्रेंस में की गई थी. हालांकि इसके सिद्धांतों को मान्यता साल 1934 में इंटरनेशनल कांफ्रेंस में मिली, जिसके बाद दुनिया भर में इसे लागू किया गया. इसके बाद इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द रेड क्रॉस सोसायटी ने लीग ऑफ द रेड क्रॉस सोसायटीज से इस दिवस को हर साल मनाए जाने की मांग की. इस मांग के करीब 2 साल बाद दुनिया भर में विश्व रेड क्रॉस दिवस मनाने की शुरुआत हुई. बता दें कि पहली बार 8 मई 1948 को पहली बार विश्व रेड क्रॉस दिवस मनाया गया.
साल 2019 की थीम
विश्व रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट डे 2019 के लिए थीम 'प्रेम या केवल प्रेम' (#love” or simply "love) रखा गया है. इस विशेष दिन पर दुनिया भर में रक्तदान शिविर आयोजित किए जाते हैं और यह दिन समाज को स्वैच्छिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने का अवसर भी प्रदान करता है.
क्या है इस दिवस का महत्व?
रेड क्रॉस दिवस को मानवता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता, तटस्थता, सार्वभौमिकता, स्वैच्छिकता और एकता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य आपदा या युद्ध की स्थिति में फंसे लोगों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद करना है. इसे हर साल एक नए थीम के साथ मनाया जाता है, ताकि लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके. यह भी पढ़ें: World Asthma Day 2019: अस्थमा को न समझें आम स्वास्थ्य समस्या, जानिए सांस से जुड़ी इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
रेड क्रॉस की स्थापना
बताया जाता है कि साल 1859 में स्विटजरलैंड के उद्यमी जॉन हेनरी ड्यूनैंट फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय की तलाश में गए थे, लेकिन उन्हें सम्राट नेपोलियन से मिलने का मौका नहीं मिला. इसी बीच वे इटली गए जहां उन्होंने सोल्फेरिनो का युद्ध देखा, जिसमें एक ही दिन में 40 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए थे और न जाने कितने ही सैनिक घायल हुए थे. उन्होंने देखा कि किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए चिकित्सा के इंतजाम नहीं थे. ऐसे में उन्होंने स्वयंसेवकों का एक समूह संगठित किया और घायलों तक खाना और पानी पहुंचाने का काम किया. इस संगठन ने घायलों का उपचार किया और उनके परिवार के लोगों को पत्र लिखकर उनकी स्थिति के बारे में बताया.
इस भयावह घटना के करीब 3 साल बाद ड्यूनैंट ने अपने अनुभव को 'अ मेमरी ऑफ सोल्फेरिनो' नामक पुस्तक के जरिए बयां किया. उन्होंने युद्ध के भयावह दृश्य का जिक्र करते हुए लिखा कि कैसे युद्ध में अपने अंगों को गंवाने वाले कराह रहे थे. आखिर में उन्होंने अपनी इस किताब में एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया, जो युद्ध में घायल हुए लोगों का इलाज कर सके.
इसके बाद रेड क्रॉस की स्थापना के लिए साल 1863 में जिनीवा पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने एक कमिटी का गठन किया, जिसमें स्विटजरलैंड के पांच नागरिक शामिल थे और कमिटी को हेनरी ड्यूनैंट के सुझावों पर गौर करना था. जनरल ग्यूमे हेनरी दुफूर, गुस्तावे मोयनियर, लुई ऐपिया, थिओडोर मॉनोइर और हेनरी ड्यूनैंट इस कमिटी में शामिल थे. अक्टूबर 1863 में इस कमिटी की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 16 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की. इसी सम्मेलन में कमिटी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का भी चुनाव किया गया.