बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होना स्वाभाविक है. बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की मजबूती का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अक्सर हम अपनी बोन हेल्थ को नजर अंदाज कर देते हैं. जबकि हड्डियां हमारे शरीर को एक ढांचा और संरचना प्रदान करती हैं. इसके साथ ही ये शरीर के कुछ महत्वपूर्ण अंगों की सुरक्षा भी करती हैं. ऐसे में हड्डियों को स्वस्थ रखने और हड्डी रोग से बचने को लेकर हड्डी, जोड़ एवं नस रोग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य पटेल ने विस्तार से चर्चा की.
आमतौर पर 30-35 साल तक हड्डियों की डेंसिटी बढ़ती है. इस समय जो लोग हेल्दी डाइट लेते हैं, उनकी बोन हेल्थ अच्छी बनी रहती है. अगर आप किन्हीं वजहों से अपनी बोन हेल्थ पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं तो इन टिप्स की मदद से घर में रहकर भी आप अपनी बोन हेल्थ का ध्यान रख सकते हैं.
> अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए अपनी डाइट में मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट को शामिल करें, जिससे कैल्शियम की कमी पूरी होती है.
> दही, लस्सी, पनीर और हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें.
> फिजिकल एक्टिविटी को बंद न करें. अपने घर की छत या बालकनी में कम से कम एक घंटे की फिजिकल एक्टिविटी जरुर करें. इसके अलावा आप सीढ़ियों का इस्तेमाल कर भी अपनी बोन हेल्थ पर ध्यान दे सकते हैं.
> हड्डियों को मजबूत बनाने में कैल्शियम के अलावा विटामिन डी का भी बहुत बड़ा रोल है.
> अपने शरीर को हफ्ते में कम से कम दो से तीन बार 15 मिनट के लिए धूप जरूर दिखाएं.
> सूरज की रोशनी विटामिन डी का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है.
> इसके अलावा अनाज और फोर्टीफाइड दूध जैसी चीजों में भी विटामिन डी की अच्छी मात्रा पाई जाती है.
सर्दी में बढ़ जाती है आर्थराइटिस की समस्या
आजकल गठिया रोग से बहुत लोग ग्रसित है. गठिया रोग दो प्रकार का होता है. पहला ऑस्टियो आर्थराइटिस और दूसरा रहूमोंटाइड आर्थराइटिस है. पहला आर्थराइटिस बढ़ती उम्र वालों को अधिक होता है. जबकि दूसरा रहूमोंटाइड आर्थराइटिस कम उम्र में भी हो जाता है, यह अनुवांशिक होता है. करीब बीस फीसदी युवा भी इस रोग से पीड़ित हैं. घंटों एक ही स्थिति में बैठकर काम करना, बढ़ती धूम्रपान की आदत और तनाव इसका मुख्य कारण है. युवाओं की बदलती लाइफ स्टाइल के कारण अस्पताल में आर्थराइटिस के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. बीस फीसदी से अधिक युवा मरीज हैं. डॉ. आदित्य पटेल बताते हैं कि बढ़ती उम्र में सर्दियों में होने वाला यह रोग जोड़ों के घिसने व कमजोर होने के कारण होता है. मगर अब यह किसी भी उम्र और मौसम में हो सकता है. हड्डी जोड़ों में यूरिक एसिड के जमा होने से जोड़ों में संक्रमण हो जाता है. यह भी पढ़ें : Benefits of Dry Fruits: रोजाना खायें ड्राय फ्रूट्स, रहें चुस्त-दुरुस्त! जानें कौन-सा ड्राय फ्रूट कब खायें और इनसे शरीर को क्या लाभ-लाभ मिलते हैं?
आर्थराइटिस के दर्द को कर सकते हैं काबू
सबसे पहले शरीर का वजन नियंत्रित करना चाहिए. प्रतिदिन का व्यायाम, नियमित उपचार और फिजियोथ्रेपी के माध्यम से इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है. गंभीर रोगियों को घुटने में इंजेक्शन देकर दर्द काबू किया जा सकता है. गठिया रोग में पैरों में दर्द होना शुरू हो जाता है. दर्द होने पर तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें.
शुगर, यूरिक एसिड की नियमित जांच कराएं. गठिया के लक्षण जोड़ों में अकडऩ व सूजन, तेज दर्द, जोड़ों से तेज आवाज आना, उंगलियों या दूसरे हिस्से का मुडऩे लगना. डॉक्टरों के मुताबिक, शुरुआत में अर्थराइटिस के लक्षण भी नहीं होते हैं. मगर इस रोग में हड्डियों के जोड़ में अकड़न के साथ दर्द होना शुरू होता है. कुछ समय बाद जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगता है. जोड़ों में सूजन आने लगती है. वजन कम करें और नियमित रूप से व्यायाम करें सूर्योदय से पहले उठकर सैर करें सुबह की धूप अवश्य ले अधिक देर एक स्थिति में न बैठें उठने, बैठने और चलने में सही स्थिति का पालन करें गुनगुना पानी और पौष्टिक आहार लें.