Atal Bihari Vajpayee's Centenary Anniversary 2024: अटल जी के ‘पहले प्रेम’ से लेकर विश्व के सर्वाधिक प्रिय नेता बनने तक के 7 रोचक पड़ाव!
Atal Bihari Vajpayee | Wikimedia Commons

Atal Bihari Vajpayee's Centenary Anniversary 2024: धूल और धुएं से भरी छोटी-सी बस्ती में पले-बढ़े एक सामान्य अध्यापक के पुत्र श्री अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने. उनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को हुआ था. अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे चार दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय सांसद के पद पर आरूढ़ रहे. अटल जी का निजी जीवन एक प्रेरणा है, जो देशभक्ति, साहित्यिकता, और संघर्ष से भरा हुआ था. उनका जीवन न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन में भी कई रोचक और प्रेरणादायक पहलू थे. उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर अटल जी के निजी जीवन से जुड़ी 7 प्रसंग बताये जा रहे हैं.

अकेलापन और अविवाहित जीवन

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी आजन्म कुंवारे थे, हालांकि उनके जीवन में एक खास महिला रूप कुमारी थीं, जिनसे उनका प्रेम संबंध था, लेकिन बात विवाह तक नहीं पहुंची, इसकी मुख्य वजह उनकी राजनीति और देश-सेवा में व्यस्तता थी, वह चाहकर भी निजी जीवन इस रिश्ते को प्राथमिकता नहीं दे सके.

साहित्य प्रेम

अटल बिहारी वाजपेयी जितने वाकपटु थे, उतने ही कुशल कवि भी थे. उनका साहित्यिक जीवन बहुत समृद्धिशाली था, उन्होंने कई काव्य रचे, जो भारतीय राजनीति और समाज के संदर्भ में गहरी सोच और संवेदनशीलता को दर्शाती है. अटल जी का प्रसिद्ध कविता संग्रह ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ काफी लोकप्रिय हुआ था. अटल जी की कविताओं में राष्ट्रप्रेम और सामाजिक जागरूकता नजर आती है.

अच्छे वक्ता और शास्त्रज्ञ

अटल जी का भाषण दुनिया भर में पसंद किया जाता था. उनकी वाकपटुता और उत्कृष्ट भाषा-शैली ने उन्हें प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया. उनके भाषणों में अजीब सी शांति और समुद्र-सी गहराई होती थी, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थी. उनकी भाषण शैली की नेहरू जी एवं इंदिरा गांधी भी पसंद करते थे. उनके भाषण का एक अंश ‘आप मुझे एक सीट दीजिए, मैं आपको एक शतक दूंगा’, चुनावी रैलियों में बहुत प्रभावशाली था.

सफर समाजवाद से संघ तक

अटल जी का राजनीति में प्रवेश समाजवाद से हुआ था, वह जवाहरलाल नेहरू के समाजवाद से बहुत प्रभावित थे, लेकिन बाद में उन्होंने पहले जनसंघ फिर भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बनकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर भारतीय राजनीति के एक मजबूत धारा का नेतृत्व किया.

अटल जी का सेंस ऑफ ह्यूमर

अटल बिहारी वाजपेयी के पास बेहतरीन सेंस ऑफ ह्यूमर था. वह अपनी बातों में हल्के-फुल्के अंदाज में गंभीर मुद्दों पर चर्चा कर जाते थे, जो उनके भाषण को और ज्यादा श्रवणीय तथा लोकप्रिय बनाता था. अपनी कविताओं और भाषणों में वह अकसर हास्य और व्यंग्य का इस्तेमाल करते थे, जिससे उनकी बातें और भी असरकारक होती थीं.

अटल जी का भाषाई ज्ञान

अटल बिहारी वाजपेयी जी हिंदी के अलावा और भी कई भाषाओं उदाहरणार्थ अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू और बंगाली आदि के भी प्रबल ज्ञाता थे. वे अक्सर अपने भाषण में विभिन्न भाषाओं को कवितावली स्वरूप में ढाल लेते थे, जो उनकी भाषाई क्षमता और समृद्ध साहित्यिक पृष्ठभूमि को दर्शाता था.

स्वास्थ्य की समस्याएं और संघर्ष

पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को अपने जीवन के अंतिम वर्षों में सेहत संबंधी कई समस्याएं झेलनी पड़ी. उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. विशेष रूप से साल 2009 में, जब उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया था, हालांदि उनके भीतर समर्पण और देश के प्रति प्रेम कभी कमजोर नहीं पड़ा. उनके निजी जीवन में यह संघर्ष एक प्रेरणा स्त्रोत बना. कि कैसे किसी भी हालात में देश सेवा को प्राथमिकता दी जाए.