Shivaji Maharaj Death Anniversary 2025: मराठा-राज का विस्तार ही नहीं जनकल्याण कार्य में भी आगे थे शिवाजी महाराज! जानें उनके जीवन के प्रेरक प्रसंग!

   शिवाजी महाराज महान बलशाली एवं चतुर शासक थे,जिनके नाम मात्र से दुश्मनों में दहशत पैदा हो जाती थी. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन हिंदू राष्ट्र के निर्माण, गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद करने में समर्पित कर दिया था. लेकिन युद्ध के मैदान में सैकड़ों सैनिकों पर भारी पड़ने वाले छत्रपति सामान्य बुखार और पेचिश के शिकार हो गये. हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि छत्रपति सामान्य मौत नहीं बल्कि षड़यंत्र का शिकार होकर 3 अप्रैल 1680 में मृत्यु को प्राप्त हुए थे. इसलिए प्रत्येक वर्ष 3 अप्रैल को देश भर में छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाई जाती है. आइए जानते हैं, हिंदू राष्ट्र के प्रणेता एवं महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्य-तिथि पर उनके जीवन से जुड़े कुछ प्रेरक प्रसंग. यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि में कलश-स्थापना क्यों जरूरी है? जानें कलश-स्थापना मुहूर्त, मंत्र एवं विधि! इस दौरान भूलकर भी न करें ये गल्तियां!

छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण एवं रोचक फैक्ट

जन्मः छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी1630 को पुणे (महाराष्ट्र) के निकट जुन्नार के पास शिवनेरी किले में भोंसले मराठा परिवार में हुआ था.

अपना मुहर चलन में लानाः स्वराज की स्थापना की. स्वराज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य उनकी आधिकारिक मुहर या मुद्रा चलन में लाना था, जो संस्कृत में है. इस मुद्रा के माध्यम सेउन्होंने अपने राज्य के लोगों को आश्वस्त किया कि वह हमेशा लोगों के लिए कल्याणकारी कार्य करते रहेंगे.

कब रखी स्वराज की नींवः छत्रपति ने स्वराज्य की नींव उस समय रखी, जब उन्होंने मुरुम्ब देव (रायगढ़)पुरंदर तोरण और कोंडाना के किलों पर कब्जा कर लिया. उन्होंने बड़ी समझदारी से अपनी शक्ति का विस्तार किया.

मराठा राज का क्रमश विकास: छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने बाहुबल एवं कुशल युद्ध नीतियों के सहारे कोंकण में महुलीसोनगढ़करनालालोहागढ़तुंगातिकोनाबीजापुरताला और घोसला तथा साल 1672 में जौहर और रामनगर की रियासत पर कब्जा करते हुए मराठा राज का क्रमशः विस्तार किया.

मराठा नौसेना की आधारशिला: छत्रपति शिवाजी महाराज ने समुद्री व्यापार और सीमा शुल्क के माध्यम से राजस्व आय को सुरक्षित और बढ़ाने के लिए व्यापारी जहाजों और बंदरगाहों की रक्षा के लिए मराठा नौसेना की स्थापना की.

ऐसे मिली छत्रपति की उपाधिः 0जून, 1674 कोबनारस के एक विद्वान पंडित गागाभट्ट ने रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक किया. इसके बाद शिवाजी महाराज स्वराज के छत्रपति बन गए. राज्याभिषेक के अवसर पर विशेष सिक्के ढाले गएः एक सोने का सिक्का जिसे होन कहा जाता था और एक तांबे का सिक्का जिसे शिवराव कहा जाता थाजिस पर श्री राजा शिवछत्रपती की कथा अंकित थी. अपनी नीतियों के माध्यम सेउन्होंने कृषि को हमेशा प्रोत्साहित किया और किसानों के कल्याण पर ध्यान दिया. वे व्यापार वृद्धि और उद्योग संरक्षण के बारे में भी चिंतित थे.