शिरडी के साईं बाबा को एक चमत्कारी पुरुष और भगवान का स्वरुप माना जाता है. साईं बाबा के आगे आज दुनिया नतमस्तक है. वैसे कहा यह भी जाता है कि बाबा के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. यहीं कारण है कि आज के इस दौर में करोड़ों की संख्या में भक्त बाबा के दरबार में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ जाते हैं. लेकिन आज भी साईं बाबा को लेकर कई सवाल रहस्य बने हुए हैं. जैसे बाबा कौन हैं? और कहां से आए थे? लेकिन इतना समय बीत जानें के बाद भी बाबा के प्रति भक्तों में आस्था कम नहीं हुई. हिंदू हो या मुसलमान हर कोई बाबा का मुरीद है. महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से 296 किलोमीटर की दूरी पर शिरडी में बाबा का मंदिर है.
आइये जानतें हैं साईं बाबा के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
मान्यता के अनुसार साईं बाबा का जन्म 28 सितम्बर 1835 को महाराष्ट्र के पथरी नामक गांव में हुआ था. यही कारण है कि हर साल 28 सितंबर को देश भर में साईं भक्त बड़ी आस्था के साथ बाबा का जन्मदिन मनाते हैं. साईं बाबा के माता-पिता और उनके असली नाम के बारें में किसी को नहीं पता. कहते हैं कि लगभग 16 साल की आयु में साईं अहमदनगर, महाराष्ट्र के शिरडी ग्राम में पहुंचे और वहीं बस गए. बाबा ने फकीरों के रूप में अपना जीवन व्यतीत किया.
साईं बाबा ने निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की. यहीं कारण है कि भक्त उन्हें एक चमत्कारी बाबा मानते थे. साई बाबा शिरडी के केवल पांच परिवारों से रोज दिन में दो बार भिक्षा मांगते थे और उनसे जो भी उन्हें मिलता उसे सभी में बांटकर खाया करते थे. द्वारका माई में साईं बाबा स्थानीय लोगों के साथ कुत्ते, पक्षी और बिल्लियां को भी खाना खिलते थे.
कथा: कहा जाता है कि एक बार एक भक्त ने साईं बाबा को भोजन करने का निमंत्रण दिया. लेकिन साईं बाबा से पहले एक कुत्ता उनके दरवाजे आया और उस शख्स ने उसे मार के भगा दिया. जब काफी समय तक साईं निमंत्रण खाने नहीं पहुंचे तो भक्त उनके घर पर जा पहुंचा. तब साईं बाबा ने मुस्कराते हुए कहा, मैं तो भोजन करने के लिए आया था लेकिन तुमने जलती हुई लकड़ी से मारकर मुझे भगा दिया. जिसके बाद भक्त को अपनी गलती का पछतावा हुआ. इसके अलावा साईं बाबा ने कई ऐसे चमत्कार किया जिसे देखने के बाद लोग हैरान रह गए.
मान्यता है कि साईं बाबा ने जो धुनी द्वारका माई सुलगाई थी वो आज भी निरंतर जल रही है. आज भी लोग बड़ी आस्था के साथ धुनी अपने साथ लेकर आते हैं. इसके अलावा बाबा जीस नीम के पेड़ के निचे बैठा करते थे उसका पत्ता आज भी खाने में मीठा आता है. माना जाता है कि साईं बाबा की मृत्यु 15 अक्टूबर 1918 को शिरडी गांव में ही हुई थी.आज पूरी दुनिया में साईं बाबा के भक्त हैं. हर देश में साईं बाबा की मंदिर है. जहां बड़ी आस्था के साथ लोग बाबा की पूजा और अर्चना करते हैं. वहीं अगर शि