हिंदू धर्म में वैसे तो हर मास की अमावस्या को नदी स्नान का विशेष महात्म्य माना जाता है. लेकिन मार्गशीर्ष मास यानी अगहन मास के दिन नदी में स्नान और दान को काफी शुभ और फलदायी माना गया है. सर्वोत्तम तो यही होगा कि अगर अवसर मिले तो इस दिन मथुरा में यमुना नदी में स्नान करें, और दान-पुण्य करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण जी की विशेष पूजा-अनुष्ठान भी करें. प्रख्यात ज्योतिषियों के अनुसार मार्गशीर्ष मास की अमावस्या के दिन उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर अथवा हरिद्वार जैसे किसी पवित्र स्थान पर पितरों का तर्पण भी विधान है. इससे पितर बहुत प्रसन्न होते हैं.
आज मंगलवार, 26 नवंबर को मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि है. इस मास को अगहन के नाम से भी जाना जाता है. पुरोहितों के अनुसार इस मास को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना गया है. इसीलिए इस पूरे मास भर कभी भी भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या के दिन की गई पूजा-पाठ जल्दी सफल होती है, और भगवान श्रीकृष्ण की भक्त पर विशेष कृपा होती है. आइये जानें इस मार्गशीर्ष मास की अमावस्या के दिन किन बातों से बचना चाहिए और क्या करना चाहिए कि श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त हो.
स्नान-दान का विशेष महात्म्य:
इस अगहन मास की अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से ठीक पूर्व किसी पवित्र नदीं में स्नान करें. इसके बाद सामर्थ्यनुसार ब्राह्मणों को दान दें, ब्राह्मण उपलब्ध नहीं हों तो किसी गरीब को कंबल अथवा वस्त्र दान दें. इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु मथुरा स्थित यमुना नदी में स्नान करते हैं. चूंकि यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है, इसलिए इस दिन यमुना स्नान बहुत पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी नदी में स्नान के बाद दान की परंपरा को निभाए बिना अभीष्ठ फल की प्राप्ति नहीं होती.
पितरों को तर्पण का भी है विधान:
मंगलवार की अमावस्या को ही भौमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. पितरों के लिए यह दिन सबसे अच्छा माना जाता है. अगर आपको अपने पितर को तर्पण देना है तो इसके लिए इस दिन को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. आज के दिन गाय के गोबर से बने कंडे जलाकर उस पर गुड़-घी डाल पितरों को विशेष धूप अर्पित किया जाता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए गरीबों को वस्त्र, कंबल, अथवा अन्न का दान जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि इससे पितर प्रसन्न होते हैं. आज के दिन उन्हें तर्पण कर पितृदोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है
मंगल ग्रह के साथ-साथ हनुमानजी की भी करें पूजा:
किसी भी माह की अमावस्या अगर मंगलवार के दिन पड़ता है तो उसे विशेष योग का दिन माना जाता है. इस विशेष योग में ही हनुमानजी की पूजा-अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से करना चाहिए. पूजा करते हुए हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं. इसके बाद लाल फूल एवं धूप अर्पित करें तथा भोग में बेसन का लड्डू चढ़ाएं. इसके पश्चात शुद्ध मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें अगर संभव है तो सुंदरकांड का पाठ करें, जो विशेष फलदायी होता है. पूजा के अंत में हनुमान जी की आरती अवश्य उतारें. बहुत से लोग इस दिन मंगल ग्रह की शांति के लिए भी पूजा करते हैं. इसके लिए शिवलिंग की पूजा करें, शिवलिंग पर लाल फूल, गुलाल, बेलपत्र चढ़ाएं एवं मसुर का दाल भी अर्पित करें.
ऐसा करने से बचें:
अमावस्या के दिन घर में पूजा-अनुष्ठान करते समय कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक होती है. इस दिन घर में किसी तरह का लड़ाई-झगड़ा, आरोप-प्रत्यारोप, आदि नहीं होनी चाहिए. बड़े-बुजुर्गों का अपमान नहीं करें. किसी से ईर्ष्या, किसी को अपशब्द, किसी पर आक्रामक रूख अख्तियार करने से बचें. घर में शांति एवं प्रेम का माहौल बनाकर रखना चाहिए. ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है, साथ ही हनुमान जी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.