Marriage Muhurat 2020: विवाह के लिए चुनें शुभ मुहूर्त, जानें क्यों नहीं होते खरमास में शुभ कार्य!
प्रतीकात्मक तस्वीर

Marriage Muhurat  2020: सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में एक होता है विवाह संस्कार. यूं तो सभी संस्कार शुभ मुहूर्त में ही सम्पन्न किया जाता है. लेकिन बात विवाह संस्कार की हो अथवा विवाह से संबंधित रस्मों सगाई, तिलकोत्सव आदि की तो मनुष्य मुहूर्त के अनुरूप ही कार्य करना पसंद करता है. हालांकि माता-पिता शादी से पूर्व कुण्डली मिलान से लेकर गुण-धर्म इत्यादि मामलों में भी काफी गंभीरता बरतते हैं. इसके बाद ही शादी के लिए शुभ मुहूर्त की तिथि फाइनल की जाती है. इसके लिए हर व्यक्ति पंचांग अथवा पंडित-पुरोहितों पर निर्भर रहता है.

13 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास

इस वर्ष देवउठनी एकादशी के दस दिन की देरी से वैवाहिक तिथियां शुरू हुई हैं और 13 दिसंबर से खरमास लगने के कारण विवाह योग्य तिथियां काफी कम थीं. लिहाजा अधिकांश लोगों ने नए वर्ष पर विवाह करने का निर्णय लिया. प्रख्यात ज्योतिषि एवं पुरोहित पं. रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष 13 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास लगने के कारण शादी संबंधित किसी भी तरह के मांगलिक कार्य निषेध होते हैं और 14 जनवरी को सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही शादी-ब्याह के लिए शुभ मुहूर्त की तिथियां शुरू हो जाएंगी. इस वर्ष विवाह के लिए सबसे ज्यादा तिथियां फरवरी (10 दिन) और मई (12 दिन) में मिल रही हैं. अब निम्न तारीखों के अनुरूप कुण्डली से मिलान करके सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त की तारीख चुनी जा सकती है.

नववर्ष पर विवाह के लिए शुभ मुहूर्त की तिथियां

जनवरीः- 15,16,17,18,29, 30,31

फरवरीः- 03,09,10,11,12,16,18,25,26,27

मार्चः- 02,03,04,08,11,12

अप्रैलः- 14,15,25,26

मईः- 02,04,05,06,08.10,12,17,18,19, 23,24

जूनः- 09, 13, 14, 15, 25, 26, 28

नवंबरः- 25,30

दिसंबरः- 01,07,08,09,11

क्या है शुभ मुहूर्त का आधार

गौरतलब है कि इस वर्ष 13 दिसंबर से अगले वर्ष यानी 14 जनवरी तक खरमास का योग है. इन दिनों किसी भी हिंदू घरों में शुभ एवं मंगल कार्य निषेध माने जाते हैं. विवाह के लिए उत्तम मास माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, और अगहन (मार्गशीर्ष मास) माने जाते हैं. जबकि विवाह के लिए शुभ लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु व मीन और शुभ नक्षत्र रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र और उत्तरा आषाढ माना जाता है. इस बात का भी ध्यान रहना चाहिए कि विवाह हेतु सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में रोहिणी, मृगशिरा एवं हस्त नक्षत्र का होना भी बहुत जरूरी होता है. इसलिए पुरोहित से विवाह की तिथि फाइनल करने से पूर्व इन बातों पर जातक को स्वयं स्पष्ट कर लेना चाहिए. कभी भी ज्यादा दक्षिणा देकर अपने अनुकूल तारीख निकलवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, जैसा कि अकसर देखने को मिलता है. बड़े से बड़े पंडित-पुरोहित ग्रहों की दिशा या शक्ति नहीं बदल सकते.

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इस वर्ष दिसंबर की 13 तारीख से शुरू होकर 14 जनवरी तक खरमास का योग रहेगा. हिंदू शास्त्रों के अनुसार खरमास के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. लिहाजा इस एक माह तक विवाह, सगाई, तिलकोत्सव अथवा गृहप्रवेश इत्यादि शुभ कार्य नहीं किये जाते. खरमास को ही मलमास या पौष मास भी कहा जाता है. दरअसल खरमास में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है और मकर संक्रांति शुरू होने तक इसी स्थिति में रहता है. कहने का आशय यह कि सूर्य जब धनु राशि में विद्यमान रहता है तो इस दरम्यान होने वाले मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते. क्योंकि इस पूरे मास तक सूर्य कमजोर हो जाता है. जबकि विवाह के समय सूर्य की स्थिति पहले देखी जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह समय सौर पौष मास का होता है,