Malmas 2019: कब से शुरू हो रहा है खरमास, इस दौरान मांगलिक कार्य क्यों होते हैं वर्जित, जानें मलमास में क्या करें और क्या नहीं
सूर्यदेव (Photo Credits: Facebook)

Kharmas 2019: देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के चार महीने की योग निद्रा से जागने के बाद सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई थी, लेकिन अब एक महीने के लिए फिर से सभी मांगलिक कार्य वर्जित हो जाएंगे. दरअसल, दिसंबर महीने की 13 तारीख से मलमास (Malmas) यानी खरमास (Kharmas) शुरू होने जा रहा है जो 14 जनवरी 2020 को समाप्त होगा. मलमास के दौरान शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, नए कारोबार का शुभारंभ, मुंडन जैसे धार्मिक संस्कार वर्जित माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए बृहस्पति की स्थिति का मजबूत होना बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन जब सूर्य मीन या धनु राशि में चला जाता है तो इसकी स्थिति कमजोर हो जाती है. ऐसे में शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.

मलमास को मलिन मास भी कहा जाता है और मलिन मास होने के कारण ही इसे मलमास या अधिक मास कहा जाता है. हिंदू धर्म में मलमास के दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों को करना अशुभ माना जाता है.

मलमास कब से कब तक?

वैसे अधिकांश लोगों में मलमास के आरंभ की तिथि को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है. कई लोगों को यह लग रहा है कि मलमास 16 दिसंबर से शुरू होगा, जबकि कई लोगों का मानना है मलमास 13 दिसंबर से शुरू होगा. हम आपको बता दें कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 13 दिसंबर 2019 से खरमास शुरू हो रहा है. इस दिन सूर्य बृहस्पति में प्रवेश कर जाएंगे. इसके बाद 14 जनवरी 2020 को मकर संक्रांति के दिन खरमास समाप्त हो जाएगा और फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी यानी इस साल 12 दिसंबर 2019 तक ही मांगलिक कार्यों के लिए अंतिम शुभ मुहूर्त है.

क्या न करें?

मलमास यानी खरमास में शादी, सगाई, वधु प्रवेश, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ और मुंडन जैसे कोई भी मांगलिक कार्य न करें. बृहस्पति देव को वैवाहिक सुख और संतान सुख देने वाला माना जाता है. किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य के लिए गुरू का प्रबल होना आवश्यक है, इसलिए इस दौरान मांगलिक कार्य करने से परहेज करना चाहिए. यह भी पढ़ें: Solar Eclipse 2019: इस दिन लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानिए ग्रहण का समय, सूतक काल और बरती जाने वाली सावधानियां

क्या करें?

इस महीने भले ही मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है, लेकिन इस महीने में जप, तप, तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व बताया जाता है. मलमास में भागवत कथा सुनने और दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

क्या है मलमास?

मलमास से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, हर राशि, नक्षत्र, करण और बारह मासों का कोई न कोई स्वामी है, लेकिन मलमास का कोई स्वामी नहीं है. इस महीने का कोई स्वामी नहीं है, इसलिए इसे अधिक मास या मलमास कहा जाता है. यही वजह है कि इस महीने मांगलिक कार्य, देव कार्य और पितृ कार्य वर्जित माने जाते हैं.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.