Bangladesh Constitution Secular Removal: बांग्लादेश में संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ हटाने का प्रस्ताव, अटॉर्नी जनरल ने 90% मुस्लिम आबादी का दिया हवाला

Bangladesh 15th Amendment Controversy: बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल एमडी असदुज्जमान ने हाल ही में देश के संविधान में महत्वपूर्ण बदलावों का सुझाव दिया है, जिसमें ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द को हटाने की मांग भी शामिल है. उनके अनुसार, बांग्लादेश की 90% मुस्लिम आबादी के मद्देनजर संविधान में यह बदलाव किया जाना चाहिए ताकि धार्मिक पहचान को और स्पष्टता मिल सके. अदालत में 15वें संविधान संशोधन पर सुनवाई के दौरान, असदुज्जमान ने कहा कि संविधान को लोकतंत्र का समर्थन करना चाहिए न कि किसी तानाशाही का.

संविधान संशोधन और ‘राष्ट्रपिता’ का संदर्भ 

असदुज्जमान ने संविधान के कई अन्य प्रावधानों में बदलाव का सुझाव देते हुए ‘राष्ट्रपिता’ का दर्जा देने वाले प्रावधान पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि शेख मुजीबुर रहमान का योगदान महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे कानून द्वारा लागू करना राष्ट्रीय एकता में बाधा डाल सकता है. इसके अलावा, उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 7ए और 7बी को भी आलोचना का विषय बनाया, जो संवैधानिक परिवर्तनों को रोकते हैं और लोकतांत्रिक सुधारों में अवरोध उत्पन्न करते हैं. उन्होंने इन प्रावधानों को लोकतंत्र के विरोध में और सत्ता के केंद्रीकरण की ओर ले जाने वाला बताया.

अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते हमले 

हाल ही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों में तेजी आई है. चट्टोग्राम में लगभग 30,000 हिंदू प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा और अधिकारों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. अगस्त से ही हजारों हिंदुओं के खिलाफ हमले और उत्पीड़न की खबरें सामने आई हैं, जो वहां की नई अंतरिम सरकार की सुरक्षा देने में असफलता को दर्शाता है.

भारत की प्रतिक्रिया 

भारत ने बांग्लादेशी सरकार से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा की अपील की है. हाल ही में चट्टोग्राम में आदिवासी समुदाय के घरों और दुकानों में आगजनी की घटनाओं के बाद धार्मिक तनाव और बढ़ गया है. इस तनाव ने बांग्लादेश में धार्मिक विविधता और आपसी सहिष्णुता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल का यह सुझाव बांग्लादेश की राजनीतिक और धार्मिक संरचना में बड़े बदलाव का संकेत देता है. हालांकि, इससे देश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यक अधिकारों के हनन का खतरा भी बढ़ सकता है, जिससे भारत सहित अन्य पड़ोसी देशों की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है. इस बदलते परिदृश्य में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के प्रति सुरक्षा सुनिश्चित करना वहां की सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.