भारत एक ऐसा देश है जहां के कई धर्म के लोग अमन-चैन के साथ रहते हैं. वहीं इस देश में कई तीर्थ स्थल हैं जहां पर बड़ी संख्या में लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं. एक ऐसी ही दरगाह राजस्थान के अजमेर में है. जो ख्वाजा हजरत मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. ख्वाजा के दरबार में हर आम से लेकर खास अकीदतमंद का पहुंचना सालों से बदस्तूर जारी है.
अजमेर शरीफ से जुड़ी खास बातें
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर पीएम मोदी, बराक ओबामा से लेकर बॉलीवुड के बडे़ बडे़ एक्टर्स भी मन्नत मांगने और चादर चढ़ाने जाते हैं.
अजमेर शरीफ में सूफी संत मोइनूदीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उर्स के रूप में 6 दिन का वार्षिक उत्सव रखा जाता है.
ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की दरगाह में आने वाले पहले व्यक्ति मोहम्मद बिन तुगलक हजरत थे. तुगलक हजरत ने 1332 में अजमेर शरीफ की यात्रा की थी.
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के पश्चिम में चांदी की परत सजाया हुआ एक खूबसूरत दरवाजा है, इस दरवाजे को जन्नती दरवाजा के नाम से जाना जाता है. यह दरवाजा साल में चार बार खोला जाता है. जिसमें पहला वार्षिक उर्स उसके बाद दो बार ईद पर और चौथी बार ख्वाजा शवाब पीर के उर्स पर.
दरगाह के भीतर निजाम सिक्का नामक एक साधारण पानी भरने वाले का भी मकबरा है. कहा जाता है कि निजाम सिक्का ने एक बार मुगल बादशाह हुमायूं को बचाया था. जिसके बाद खुश होकर बादशाह ने उसे एक दिन का नवाब बना दिया था.
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में स्थित है जहालरा. दरगाह के अंदर एक स्मारक है जो कि हजरत मुईनुद्दीन चिश्ती के समय पानी का मुख्य स्त्रोत था. आज भी जब दरगाह में कोई पवित्र काम किया जाता है तो जहालरा का पानी लिया जाता है.
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के भीतर दो बड़े-बड़े कढ़ाहे हैं. इन दोनों काढाहों में चावल, केसर, बादाम, घी, चीनी, मेवे को मिलाकरखाद्य पदार्थ पकाया जाता है. जिसे बाद में प्रसाद के रूप में लोगों को बांटा जाता है.
अकबर बादशाह ने जहांगीर के रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद अजमेर शरीफ के अंदर मस्जिद का निर्माण किया था. इस मस्जिद को अकबर मस्जिद कहा जाता है. जहांबच्चों को कुरान की शिक्षा भी प्रदान की जाती है.