
नित-प्रतिदिन प्रदूषण के तेजी से बढ़ते ग्राफ को देखते हुए ऐसा लगता है कि ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ का आयोजन हर दिन होना चाहिए. ठीक उसी तरह जैसे हम अपने घर की साफ-सफाई करते हैं. आखिर यह ग्रह भी हमारा घर है, इसकी केयरिंग में हम सभी को रुचि लेनी चाहिए. आज संपूर्ण दुनिया अनियमित मौसम से उपजी घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान का सामना कर रही है, इसलिए इस तरह के आयोजन में सारी दुनिया को अपने ग्रह को बचाने में अपना पूरा योगदान देना चाहिए. फिर वह चाहे नदियों एवं वायु में बढ़ता प्रदूषण हो, रिसाइक्लिंग व्यवस्था हो या खाद बनाने की प्रक्रिया आदि हो, हमारे पर्यावरण प्रयासों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि पृथ्वी के बिना, सभी जीवित चीजें अस्तित्व में नहीं रहेंगी. विश्व पृथ्वी दिवस की खुशियों एवं आवश्यकताओं को साझा करने के लिए आइये इस अवसर पर ये प्रभावशाली कोट्स अपने सखा-संबंधियों को भेजें.
* ‘मुझे गुस्सा तभी आता है जब मैं बर्बादी देखती हूं. जब लोगों को ऐसी चीजें फेंकते हुए देखती हूँ जो हमारे काम की हो सकती हैं.’
-मदर टेरेसा
* ‘हम अपने जीवन की देखभाल के लिए पृथ्वी पर हैं, साथ ही हम एक-दूसरे की भी देखभाल के लिए पृथ्वी पर हैं.’ -ज़ी बस्टिडा
* ‘प्रकृति अनंत है, जिसका केंद्र हर जगह है और परिधि कहीं नहीं है.
- ब्लेज़ पास्कल
* ‘हमारा सारा ज्ञान पेड़ों में संग्रहित है.’ -संतोष कलवार
* ‘सबसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद वह है, जिसे आपने नहीं खरीदा है.’
- जोशुआ बेकर
* ‘अपना दिमाग और अपनी आत्मा को आत्मसात करने के लिए मैं अकसर जंगल में चला जाता हूँ.’
-जॉन मुइर
* ‘प्रकृति किसी भी कार्य में जल्दबाजी नहीं करती, फिर भी सब कुछ अपने समय पर पूरा होता है.’ -लाओ त्ज़ु
* ‘आप कभी किसी पौधे को बढ़ते हुए नहीं देख सकते, लेकिन वे बढ़ते हैं, यह प्रकृति का संरक्षण है.’
-- कैरल प्लम-उकी
* ‘अगर पर्यावरण की स्थिति अच्छी है, तो लोग खुशहाल होंगे और खुश भी, आपके सारे दुख दूर हो जाएंगे.’
-श्रीनिवास मिश्रा
* ‘आप पृथ्वी पर रहते नहीं हैं, इस पर से गुजर रहे होते हैं.’
-रूमी
* ‘पृथ्वी हमेशा बदलती रहती है... हमारे अस्तित्व के साथ खुद को समायोजित करती रहती है. इसका हर युग अनूठी चुनौतियों से भरा होता है.’
-वैल पेंदु
* ‘परिवर्तन के बिना प्रगति असंभव है, और जो लोग अपना मन नहीं बदल सकते, वे कुछ भी नहीं बदल सकते.’
-जॉर्ज बर्नार्ड शॉ