26/11 Terrorist Attacks: 26/11 मुंबई पर आतंकी हमलों के 14 साल!आज भी कायम है दहशत और हैवानियत की वे स्मृतियां!जानें एक-एक पल की बातें!
26-11 Mumbai Terror Attack (Photo Credit : PTI)

मुंबई पर आतंकी हमले (26/11) के 14 वर्ष गुजर चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है,मानो कल की ही बात हो. लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया और पूरे देश में दहशत फैला दिया. इस आतंकी हमले में शामिल आतंकी पूरी तरह से प्रशिक्षित थे. उनका मुख्य उद्देश्य भारत में आतंक पैदा करना था. आइये जानें इस आतंकी घटना के 10 दहशत भरे पलों की पल-पल की यादें….

* 21 नवंबर, 2008, दस आतंकी नाव से पाकिस्तान से भारत की ओर बढ़े. उन्होंने भारतीय सीमा में प्रवेश कर 4 मछुआरों को मारकर भारतीय ट्रॉलर, कुबेर का अपहरण किया और कप्तान को धमकी देकर मुंबई चलने को कहा. 26 नवंबर. मुंबई पहुँचने से 7 किमी पूर्व आतंकियों ने कप्तान की हत्या कर दी. इन्फ्लेटेबल स्पीड बोट में वे कोलाबा होते हुए कफ परेड के निकट डॉक पर 6 आतंकी उतरे,शेष 4 बधवार पार्क,(कफ परेड) पहुंचे. यहां कुछ ने स्थानियों से बहस भी किया. आगे चलकर 2-2 में बंट गये. यह भी पढ़ें : Gurgaddi Diwas Guru Gobind Singh Ji 2022 Images: गुरु गद्दी दिवस गुरु गोबिंद सिंह जी की इन HD Wallpapers, GIF Greetings, SMS के जरिए दें शुभकामनाएं

* 26 नवंबर,रात करीब 9.20 बजे 2 बंदूकधारियों ने विश्व के व्यस्ततम सीएसटी रेलवे स्टेशन पर अंधाधुंध गोलीबारी की. यहां अजमल कसाब व साथी आतंकियों की गोलीबारी से 58 लोग मारे गये,100 से ज्यादा घायल हुए. सुरक्षा बलों के मौके पर पहुंचने पर वे भाग गए, भागते-भागते उन्होंने कई पैदल यात्रियों और 8 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी. आतंकी कामा अस्पताल की ओर बढ़े. अस्पताल कर्मियों ने रोगियों के वार्डों को बंद कर दिया. तब दोनों आतंकियों ने अस्पताल के बगल की गली में वाहनों पर गोलियां चलानी शुरू की. यहां क्रॉस फायर में 3 पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे, विजय सालस्कर, अशोक कामटे और तुकाराम ओंबले मारे गए. एक आतंकी भी मारा गया, कसाब घायल हुआ.

* यहां मुंबई पुलिस के एक सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओंबले ने एकमात्र जीवित बचे अजमल कसाब की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. घायल कसाब भागते हुए पुलिस पर फायरिंग कर रहा था, तभी निहत्थे तुकाराम ओंबले ने कसाब की राइफल पकड़ी, तभी अधिकारियों को उसे पकड़ने में मदद मिली. लेकिन तब तक कसाब की अंधाधुंध फायरिंग से ओंबले शहीद हो चुके थे.

* एक घंटे के भीतर चार अन्य स्थानों लियोपोल्ड रेस्तरां,ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और ताज महल पैलेस और टॉवर होटल पर हमले हुए. शाम दो बंदूकधारियों ने कैफे में फायरिंग शुरू की, कुछ विदेशियों समेत करीब 10 लोगों की मौत हुई, कई घायल हुए. उसी रात मुंबई में टाइम बमों से दो टैक्सियों में विस्फोट हुआ. पहला विस्फोट 22.40 बजे विले पार्ले में हुआ, जिसमें चालक और एक यात्री की मृत्यु हुई. दूसरा विस्फोट वाडी बंदर में 22.20 और 22.25 के बीच हुआ, जिसमें टैक्सी चालक सहित तीन लोगों की मृत्यु हुई. 15 घायल हुए.

* आतंकियों का अगला निशाना कोलाबा स्थित नरीमन हाउस था, जिसे मुंबई चबाड हाउस भी कहते हैं, दो आतंकवादियों ने इमारत पर कब्जा कर लिया और तमाम निवासियों को बंधक बना लिया. पुलिस ने स्थानीय निवासियों को घरों में ही रहने को कहा. आस-पास की इमारतों को खाली कराया गया. आतंकियों और पुलिस के बीच क्रॉस फायरिंग हुई. पहले दिन 9 बंधकों को पहले माले से बचाया गया, अगले दिन सुबह-सवेरे एनएसजी कमांडो ने इमारत पर धावा बोला. लंबे समय तक हुई गोलीबारी में एक एनएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्ट के साथ दोनों हमलावर मारे गए.

* रब्बी गैब्रिएल होल्ट्जबर्ग और उनकी पत्नी रिवका होल्ट्जबर्ग,जो 6 माह की गर्भवती थी, आतंकियों द्वारा 4 अन्य बंधकों के साथ हत्या कर दी गई. शहर के दो पांच सितारा होटल ताजमहल होटल और ओबेरॉय ट्राइडेंट अभी आतंकियों के कब्जे में थे, ओबेरॉय में एक विस्फोट और ताजमहल में करीब 6 विस्फोट हुए. ताजमहल आग के लपटों में फंस गई. अधिकारियों ने एक घंटे बाद लोगों को इमारत से बाहर निकालना शुरू किया. 27 नवंबर की सुबह तक सभी बंधकों को होटल से छुड़ा लिया गया.

दोनों होटलों को रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों और मरीन कमांडो (MARCOS) ने घेर लिया था, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने भी अहम भूमिका निभाई. कमांडो सुनील यादव को बचाने में एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की मृत्यु हो गई.

* ताजमहल में करीब 31 लोग मारे गए, जिनमें एक जर्मन टीवी प्रोड्यूसर राल्फ बुर्के भी था, 30 से ओबेरॉय ट्राइडेंट में मारे गए. ताजमहल में अंतिम ऑपरेशन 29 नवंबर को 08.00 बजे एनएसजी कमांडो द्वारा पूरा किया गया. जिसमें सभी हमलावर मारे गए. एनएसजी ने ओबेरॉय से 250, ताज से 300 और नरीमन हाउस से 60 लोगों को बचाया.

मुंबई हमले के 14 साल हो गए,लेकिन इस कायराने हमले में मृतकों की यादें, देश के लिए जान कुर्बान करने वाले वीरों एवं उनके शौर्य की यादें किसी भी भारतीय के जहन से कभी नहीं मिटेंगी.