ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है क्रिसमस, जिसे दुनिया भर में सेलिब्रेट किया जाता है. बदलते समय के साथ क्रिसमस पर भी वैश्विक और सांस्कृतिक माहौल का रंग चढ़ा है, लेकिन क्रिसमस की पारंपरिक जड़ें आज भी पर्व में दिखती है. आधुनिक क्रिसमस में कई प्रकार की बातें, मसलन उपहारों का आदान-प्रदान, क्रिसमस ट्री की साज-सज्जा और सांता क्लॉस की उपस्थिति. ये क्रिसमस की पारंपरिक और प्राचीन जड़ें हैं, जो मॉर्डन जमाने के क्रिसमस से अछूती नहीं है. आइये सेलिब्रेशन के इस अवसर पर जानें आधुनिक रंग में रगें क्रिसमस के नये स्वरूप को..
ईसाई धर्म की जड़ें
25 दिसंबर को मनाये जाने वाला क्रिसमस, प्रभु यीशु मसीह के जन्मोत्सव का प्रतीक है, ईसाई समुदाय इसे यीशु के पृथ्वी पर आगमन के रूप में मानते हैं. मान्यतानुसार यीशु मानवता के उद्धार हेतु आए थे. इस पर्व की शुरुआत एक धार्मिक अवसर के रूप में थी, जिसमें चर्चों में विशेष प्रार्थना, भजन और संगीत आदि होते थे. हालांकि, क्रिसमस का इतिहास रोमन साम्राज्य में 25 दिसंबर को ‘सोल इन्विक्टस’ (Unconquered Sun) के नाम से जुड़ा है, सूर्यदेव के उत्सव स्वरूप मनाया जाता था. यह सूर्य के पुनः उदय होने और सर्द मास के अंत को दर्शाता था. 25 दिसंबर का दिन इसलिए चुना, ताकि वे इस उत्सव के जरिये प्रभु ईसा के जन्म का महत्व बता सकें.
क्रिसमस-ट्री और सजावट
क्रिसमस-ट्री की परंपरा यूरोप के प्राचीन वृक्ष-पूजा से जुड़ी है. जर्मनी में 16वीं शताब्दी में लोग अपने घरों में लगे देवदार वृक्ष को सजाते थे. ये पेड़ मूलतः प्रकृति और जीवन का प्रतीक होते थे. समय के साथ, परंपरा के विकास स्वरूप वृक्ष को मोमबत्तियों, फूलों, और चमकीले सामानों से सजाया जाने लगा. गौरतलब है कि 19वीं शताब्दी में, इंग्लैंड के राजकुमार अल्बर्ट (विक्टोरिया के पति) ने क्रिसमस-ट्री की सजावट को लोकप्रिय बनाया, लिहाजा यह परंपरा इंग्लैंड और अन्य यूरोपीय देशों में विकसित हुई. आजकल, क्रिसमस ट्री पर कृत्रिम सजावट, बत्तियां और अन्य आधुनिक सामान लगाए जाते हैं, जो पूरे घर की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. इस परंपरा को अन्य धर्म के लोग भी अपनाते हैं.
सांता क्लॉस
सांता क्लॉस का संबंध संत निकोलस से है, जो 4वीं शताब्दी के एक धार्मिक ख्यालों वाले व्यक्ति थे. उन्हें बच्चों के प्रति दया और उपहार देने के लिए जाना जाता था. निकोलस का जन्म तुर्की के एक शहर पत्तारा में हुआ था. निजी जीवन में वह गरीबों और जरूरतमंदों की हर संभव मदद करते थे. वहीं, 19वीं शताब्दी में अमेरिकी संस्कृति में एक नये रंग में रंगे सांता क्लॉस का स्वरूप विकसित हुआ. कोका कोला कंपनी द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों में सांता को लाल वस्त्रों में दिखाया गया, जो आज के सांता क्लॉस का प्रतिनिधित्व करता है. सांता का यह चित्र और चरित्र दुनिया भर में प्रसिद्ध हुआ. आज सांता क्लॉस का यही स्वरूप क्रिसमस का अभिन्न हिस्सा बन गया
क्रिसमस कैरोल्स और गीत
क्रिसमस के अवसर पर ‘क्रिसमस कैरोल्स’ गाये जाने की बहुत पुरानी परंपरा है, और इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है. मान्यता है कि 12वीं शताब्दी में, ‘क्रिसमस कैरोल्स’ खूब गाए जाते थे, लेकिन उन दिनों तक ये गीत केवल चर्चों तक सीमित हुआ करते थे. 19वीं शताब्दी में क्रिसमस कैरोल्स का एक नये स्वरूप में विस्तार हुआ, जो कालांतर में खुशियों और उल्लास का प्रतीक बन गया. क्रिसमस गीतों में सबसे ज्यादा पसंद किये जाते हैं, वे हैं, ‘जॉय टू द वर्ल्ड’ और ‘साइलेंट नाइट’ जो आज भी हर क्रिसमस पर गाए और पसंद किये जाते हैं.
उपहार और भोजन की परंपराएं
क्रिसमस पर उपहारों की परंपरा भी सांता क्लॉस और संत निकोलस से जुड़ी हुई है. संत निकोलस को गरीब बच्चों को उपहार देने के लिए जाना जाता था, यही परंपरा धीरे-धीरे क्रिसमस पर उपहार देने के रूप में विकसित हुई. कहने का आशय यह कि क्रिसमस पर परिवार और मित्र एक-दूसरे को प्यार और सम्मान के प्रतीक के रूप में उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं. क्रिसमस की एक पहचान इसके खानपान से भी जुड़ी है. क्रिसमस पर घर-घर में टर्की, हैम, क्रिसमस पुडिंग और विभिन्न किस्म की मिठाइयां बनाई जाती हैं. परिवार के लोग क्रिसमस पर्व के सेलिब्रेशन के पश्चात परिवार के लोग मिलजुल कर इन पकवानों परिवार के साथ मिलकर पकवानों का लुत्फ उठाते हैं.