Magh Purnima 2025: माघ पूर्णिमा क्यों खास माना जाता है? जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं इस दिन दान-धर्म एवं यज्ञ आदि का पुण्य-फल क्या है!

  हिंदू धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा का विशेष महत्व वर्णित है. माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा अथवा माघी पूर्णिमा भी कहते हैं. यह दिन भगवान श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. इस दिन विष्णुजी और लक्ष्मीजी के साथ भगवान शिव की पूजा का विधान है. माघ पूर्णिमा का पर्व वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान एवं सूर्य उपासना करने से जीवन के सभी पाप मिटते हैं, सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है. यहां हम माघ पूर्णिमा के महत्व और मुहूर्त एवं यह जानने की कोशिश करेंगे कि माघ पूर्णिमा क्यों महत्वपूर्ण होता है.  

माघ पूर्णिमा क्यों अलग है अन्य पूर्णिमा से?

  हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ पूर्णिमा स्नान एवं दान के लिए जाना जाता है. इस दिन गंगा अथवा गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान के पश्चात गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान-धर्म करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बहुत से लोग इस दिन तीर्थराज प्रयागराज में गंगा तट पर गऊ-दान एवं यज्ञ एवं लोगों को भोजन वितरित का भी आयोजन करवाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से सारे तीर्थों का पुण्य-फल प्राप्त होता है. इस वर्ष 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा.

माघ पूर्णिमा 2025 तिथि और स्नान-दान का मुहूर्त

माघ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा प्रारंभः 06.55 PM (11 फरवरी 2025मंगलवार) 

माघ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा समाप्तः 07.22 PM (12 फरवरी 2025बुधवार) 

उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा.

माघ पूर्णिमा पर चंद्रोदयः 06.32 PM पर होगा.

माघ पूर्णिमा का महत्व

   इस वर्ष महाकुंभ होने के कारण माघ मास का महत्व कई गुना बढ़ गया है. माघ मास की पूर्णिमा के दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान के पश्चात दान-धर्म करने से अक्षुण्ण पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान श्रीहरि एवं देवी लक्ष्मी के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना का विधान है. पूजा के पश्चात गरीबों अथवा जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र एवं अन्य जरूरत की वस्तुएं दान करने से जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं, इसके अलावा इस दिन जिन श्रद्धालुओं की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है. उन्हें उगते चंद्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए. इसके बाद किसी ब्राह्मण को दूध, दही, शक्कर, चावल, मिश्री आदि का दान करने से भी कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है, जिसकी वजह से जातक रोग मुक्त होता है एवं उसकी सेहत अच्छी रहती है.