Kharmas 2021: खरमास प्रारंभ! 21 जनवरी तक नहीं हैं विवाह के मुहूर्त! जानें क्या हैं खरमास के नियम?
खरमास, प्रतीकात्मक तस्वीर

हमेशा की तरह इस वर्ष भी 14 दिसंबर 2021 से 14 जनवरी, 2022 तक के लिए खरमास (Kharmas 2021) लग रहा है. इस पूरे मास किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. जहां तक वैवाहिक मुहूर्त की बात है तो उसकी तिथि भी 39 दिन बाद पड़ रही है. आइये जानें खरमास काल में मांगलिक कार्य क्यों नहीं किए जाते हैं. यह भी पढ़ें: Kharmas 2021: कब शुरु हो रहा है खरमास? क्यों कहते हैं इस मास को शुभ मंगल कार्य के लिए बुरे दिन? धर्मकांड के लिए अच्छे दिन?

क्या है खरमास?

प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह और पौष माह के बीच में खरमास लगता है. सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है. हिंदी पंचांग के अनुसार आज यानी 14 दिसंबर 2021 से खरमास प्रारंभ हो जाएगा, जिसका समापन 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन होगा. खरमास का आशय ‘खर’ यानी दुश्मन का महीना होता है. इसे दुष्ट मास भी कहते हैं. इसी वजह से इस मास काल में पाणिग्रहण संस्कार, मुंडन संस्कारण, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश एवं नामकरण आदि के आयोजन नहीं किए जाते. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास काल में सूर्य की गति अत्यंत धीमी हो जाती है. इसीलिए दिन बड़े और रात छोटी होती है. सूर्य की गति अत्यंत मध्यम होने के कारण ही किसी तरह के शुभ मंगल कार्य नहीं किए जाते.

कब लगता है खरमास?

हिंदू धर्मानुसार साल में दो बार खरमास लगता है. सूर्य जब धनु और मीन राशि में आते हैं, तभी खरमास का महीना लगता है. इस वर्ष पहला खरमास 14 मार्च से 14 अप्रैल 2021 तक के लिए लगा था. यह स्थिति तब बनती है जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर चुके होते हैं.

खरमास का महात्म्य!

ज्योतिषाचार्य पं. रवींद्र पाण्डेय के अनुसार सूर्य देव प्रत्येक राशि में एक माह गोचर करते हैं. सूर्य जब धनु राशि में गोचर करते हैं, खरमास प्रारंभ हो जाता है. मान्यता है कि सूर्य देव जब देवगुरु बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं तो संपूर्ण प्रकृति पर कुप्रभाव पड़ता है, क्योंकि इस काल में सूर्य देव कमजोर होते हैं, उन्हें मलीन कहा जाता है, इसीलिए इसे मलमास भी कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के कमजोर होने को अशुभ संकेत बताया जाता है. इसी तरह बृहस्पति जिसे देवगुरु माना जाता है, इनके स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं मानी जाती, इसीलिए खरमास के दरम्यान शुभ कार्य नहीं किए जाते. 14 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा, लेकिन जहां तक वैवाहिक मुहूर्त की बात है तो नए साल पर विवाह का पहला मुहूर्त 22 जनवरी से शुरु हो रहा है. यानी 22 जनवरी से पूर्व यानी 39 दिनों तक घरों में शहनाइयां नहीं बजेंगी.

खरमास में ये कार्य ना करें

* खरमास माह में मांगलिक कार्यक्रम मसलन मुंडन, गृहप्रवेश, विवाह इत्यादि नहीं आयोजित किए जाते हैं. इसके अलावा बेटी या बहु की विदाई भी नहीं की जाती. तथा किसी तरह का नया कार्य भी प्रारंभ नहीं किया जाता है.

* खरमास काल में मकान, जमीन, कार्यालय जैसे किसी भी तरह की अचल संपत्ति खरीदी या बेची नहीं जाती  है.

* खरमास में नए आभूषण या कपड़े इत्यादि नहीं पहने जाते हैं. अलबत्ता आप चाहे तो ये चीजें खरीदकर रख सकते हैं.

* ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक खरमास के समय गेहूं, चावल, मूंगदाल, जीरा, सुपारी, आम (मार्च माह के खरमास के समय), सोंठ, जौ एवं तिल आदि भी नहीं खाए जाते है.

* खरमास काल में सूर्य के कमजोर होने से प्रकृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिसका असर आम मनुष्यों पर भी पड़ता है, इसलिए इस माह के दरम्यान किसी से विवाद अथवा झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए. कुछ भी अनिष्ठ होने की संभावना रहती है.

खरमास काल में ये कार्य अवश्य करें

* खरमास में सूयोपासना अवश्य करें. प्रातःकाल स्नान के पश्चात एक लोटा जल अवश्य अर्पित करें.

* स्नान के पश्चात श्रीहरि की पूजा के समय सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए.

* खरमास में गरीब एवं जरूरतमंदों को दान देने से कुण्डली के ग्रह-दोष मिटते हैं.

* खरमास काल में इष्टदेव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है