हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्च मास-2021 में पुनः खरमास का आगमन हो रहा है. खरमास (मलमास) की खास बात यह है कि इस काल में हिंदू धर्म मानने वालों के घरों में किसी भी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्य प्रतिबंधित होते हैं, यद्यपि इसी माह धार्मिक कार्य करने से जीवन में आने वाले सारे विघ्न दूर हो जाते हैं. खरमास को श्रीहरि यानी भगवान विष्णु का प्रिय मास माना जाता है. आइये जानते हैं खरमास किन हालातों में आते हैं और इस माह क्यों प्रतिबंधित होते हैं शुभ कार्य.
क्या होता है खरमास और कब शुरु हो रहा है?
हमारे ज्योतिषचार्य के अनुसार जब भी सूर्य बृहस्पति, धनु, या मीन राशि मे प्रवेश करते हैं तो उस माह को खरमास का नाम दिया जाता है. हिंदु पंचांग के अनुसार ज्योतिष गणना के अनुसार वर्तमान में सूर्य कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं. इस दौरान शुभ कार्य करना दोषपूर्ण माना जाता है. इसके बाद 14 मार्च 2021 रविवार को शाम 05.55 बजे से मीन राशि में प्रवेश करेंगे. मीन राशि गुरू की राशि मानी जाती है. सूर्य मीन राशि से निकल कर 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद ही खरमास काल का समापन हो जायेगा कहने का आशय यह है कि हिंदू धर्म को मानने वाले 14 मार्च से 14 अप्रैल तक किसी तरह के मांगलिक कार्य, विवाह और यज्ञोपवित एवं मुंडन जैसे कार्यक्रम नहीं सम्पन्न कर सकेंगे.
लेकिन इस महीने को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान पूजा पाठ करने से परेशानियों से छुटकारा मिलता है और सफलता भी प्राप्त होती है.अलबत्ता इस एक माह पूजन-कीर्तन, श्री सत्यनारायण कथा, यज्ञ, हवन, सुंदरकांड अथवा रामचरित मानस जैसे धार्मिक कार्य जरूर किये जाते हैं. गौरतलब है कि खरमास साल में 2 बार लगता है. एक बार सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने पर और दूसरी बार सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर. इस वर्ष विवाह के मुहूर्त अप्रैल में बन रहे हैं. क्योंकि विवाह संस्कार में शुक्र ग्रह की स्थिति का विशेष महत्व होता है. शुक्र इस समय अस्त चल रहे हैं. इस वर्ष विवाह मुहूर्त 24 अप्रैल से बन रहे हैं. इस वर्ष अप्रैल माह में विवाह के मुहूर्त 24, 25, 26, 27 और 30 अप्रैल को बन रहे हैं.
खरमास काल में ये कार्य अवश्य करने चाहिए.
खरमास यानी मलमास में ब्राह्मण एवं गरीबों को अन्नदान, वस्त्र दान एवं अन्य जीवनोपयोगी वस्तु दान देने से बुरे ग्रहों से छुटकारा मिलता है.
* यह मास जप-तप एवं हवनादि के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया जाता है.
* खरमास काल में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय होता है. इस दौरान किए गए दान-पुण्य का अधिक फल प्राप्त होता है.
* खरमास के दौरान सूर्यदेव एवं विष्णु भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है. इसलिए इस दरम्यान सत्यनारायण भगवान की कथा एवं सूर्य को अर्घ्य देने से ईश्वर का आशीर्वाद तो मिलता ही है, साथ लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.