भगवान विष्णु के योग-निद्रा में जाने के पश्चात जो पहली एकादशी पड़ती है, उसे कामिका एकादशी कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिवजी की भी पूजा का विधान है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से उनके सभी देव, नाग, किन्नर, पितरों आदि की भी पूजा हो जाती है. शुभ मुहूर्त और विधि-विधान विष्णु जी की पूजा करने से जातकों की सारी कामनाएं पूरी होती हैं. वर्तमान में चल रहे कष्ट दूर होते हैं, और घर-परिवार में खुशहाली आती है. इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत 31 अगस्त 2024, बुधवार को रखा जाएगा. आइये जानते हैं कामिका एकादशी व्रत का महात्म्य, मुहूर्त. पूजा-विधि एवं व्रत कथा आदि..
कामिका एकादशी का महात्म्य
श्रावण मास में पड़ने के कारण कामिका एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. कुछ धर्माचार्यों के अनुसार कामिका एकादशी व्रत एवं पूजा करनेवाले जातक को अश्वमेघ यज्ञ कराने जैसा शुभ फल प्राप्त होता है. इसके अलावा तुलसी के पत्ते से भगवान विष्णु का 108 जाप करने से पितृ-दोष से मुक्ति मिलती है. विष्णु पुराण के अनुसार कामिका एकादशी पर उपवास एवं रात्रि भजन करनेवाले जातक पर यमराज कभी क्रोध नहीं करते. संक्षिप्त में कहें तो श्रावण मास में भगवान विष्णु की पूजा एवं व्रत रखने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह भी पढ़ें : Shiva’s & Dreams in Shravan: श्रावण मास में सपने में भगवान शिव, देवी पार्वती, डमरू या नंदी आदि दिखे तो क्या समझें?
कामिका एकादशी 2024 की मूल-तिथि
श्रावण कृष्ण पक्ष एकादशी प्रारंभः 04.44 PM (30 जुलाई 2024, मंगलवार)
श्रावण कृष्ण पक्ष एकादशी समाप्तः 03.55 PM (31 जुलाई 2024, बुधवार)
पारण कालः 05.43 AM से 08.24 AM
कामिका एकादशी पूजा अनुष्ठान
कामिका एकादशी के दिन जातक को सूर्योदय से पूर्वव स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर इस पर भगवान विष्णु एवं शिवजी की तस्वीर रखें. दोनों देवों का पंचामृत से अभिषेक करें. पीला फूल, पीला चंदन, इत्र, रोली, तुलसी एवं तिल अर्पित करें. भोग में फल एवं मिष्ठान चढ़ाएं. शिवजी को बेल-पत्र, एवं सफेद चंदन तथा सफेद पुष्प अर्पित करें.
अब निम्न मंत्र का 108 जाप करते हुए हर बार भगवान विष्णु को एक तुलसी का पत्ता चढ़ाएं.
‘ॐ नमो नारायण’
तत्पश्चात विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें. इसके पश्चात कामिका एकादशी व्रत कथा सुनें अथवा सुनाएं. अंत में विष्णुजी की आरती उतारें और भक्तों को प्रसाद वितरित करें. द्वाद्वशी के दिन व्रत का पारण करें.
कामिका एकादशी व्रत कथा
एक बार एक जमींदार का ब्राह्मण से झगड़ा हो गया, झगड़ा इतना बढ़ा कि जमींदार के हाथों ब्राह्मण की हत्या हो गई. जमींदार इस ब्रह्म-हत्या के पश्चाताप ब्राह्मण के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता था, लेकिन गुस्साए ग्रामीणों ने उन्हें वापस भेज दिया. इसके बाद ब्रह्म-हत्या के पाप से छुटकारा पाने हेतु जमींदार एक ऋषि के पास जाकर अपनी समस्या बताई. ऋषि ने उसे कामिका एकादशी का व्रत और श्रीहरि की पूजा की सलाह दी. जमींदार ने वैसा ही किया, परिणाम स्वरूप उस रात भगवान ने उसे सपने में दर्शन देते हुए उसे ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति दिलाया.