Close
Search
<
Close
Search

Jivitputrika Vrat 2024: कब है जिवित्पुत्रिका व्रत एवं पूजा? जानें इसका महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि के साथ जिवित्पुत्रिका व्रत-कथा!

सनातन धर्म में परिवार कल्याण निमित्त तमाम व्रत एवं अनुष्ठान आदि का विधान है. ऐसा ही एक व्रत है जिउतिया व्रत, इसे जीवित्पुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है. अपने नाम के अनुरूप यह व्रत माएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं अच्छी सेहत के लिए रखती है, और ज्यादातर उत्तर पूर्व भारत में यह व्रत रखा जाता है.

लाइफस्टाइल Rajesh Srivastav|
Jivitputrika Vrat 2024: कब है जिवित्पुत्रिका व्रत एवं पूजा? जानें इसका महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि के साथ जिवित्पुत्रिका व्रत-कथा!
Jivitputrika Vrat 2024 (img: file photo)

सनातन धर्म में परिवार कल्याण निमित्त तमाम व्रत एवं अनुष्ठान आदि का विधान है. ऐसा ही एक व्रत है जिउतिया व्रत, इसे जीवित्पुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है. अपने नाम के अनुरूप यह व्रत माएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं अच्छी सेहत के लिए रखती है, और ज्यादातर उत्तर पूर्व भारत में यह व्रत रखा जाता है. यह व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रखा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 25 सितंबर 2024, बुधवार के दिन रखा जाएगा. आइये जानते हैं इस व्रत के महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि आदि के बारे में..

जिवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

संतान की सुरक्षा एवं संरक्षा हेतु इस व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत माएं अपनी संतान की दीर्घायु एवं मंगल कामना हेतु करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक की हर कामनाएं पूरी होने के साथ-साथ उसके अन्य सारे कष्ट भी नष्ट होते हैं. इस व्रत का एक और महत्व है कि इस व्रत को करनेवाले साधक को जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनने से साधक को संतान वियोग की पीड़ा नहीं झेलनी पड़ती. यह भी पढ़ें :

लाइफस्टाइल Rajesh Srivastav|
Jivitputrika Vrat 2024: कब है जिवित्पुत्रिका व्रत एवं पूजा? जानें इसका महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि के साथ जिवित्पुत्रिका व्रत-कथा!
Jivitputrika Vrat 2024 (img: file photo)

सनातन धर्म में परिवार कल्याण निमित्त तमाम व्रत एवं अनुष्ठान आदि का विधान है. ऐसा ही एक व्रत है जिउतिया व्रत, इसे जीवित्पुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है. अपने नाम के अनुरूप यह व्रत माएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं अच्छी सेहत के लिए रखती है, और ज्यादातर उत्तर पूर्व भारत में यह व्रत रखा जाता है. यह व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रखा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 25 सितंबर 2024, बुधवार के दिन रखा जाएगा. आइये जानते हैं इस व्रत के महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि आदि के बारे में..

जिवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

संतान की सुरक्षा एवं संरक्षा हेतु इस व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत माएं अपनी संतान की दीर्घायु एवं मंगल कामना हेतु करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक की हर कामनाएं पूरी होने के साथ-साथ उसके अन्य सारे कष्ट भी नष्ट होते हैं. इस व्रत का एक और महत्व है कि इस व्रत को करनेवाले साधक को जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनने से साधक को संतान वियोग की पीड़ा नहीं झेलनी पड़ती. यह भी पढ़ें : Mahalaya 2024: कब और क्यों मनाया जाता है महालया पर्व? जानें इस पर्व का पितृ पक्ष एवं नवरात्रि के बीच क्या संबंध है!

जिवित्पुत्रिका व्रत की मूल तिथि एवं पूजा-मुहूर्त

जिवित्पुत्रिका व्रत मुहूर्तः 10.41 AM से 12.12 PM तक (25 सितंबर 2024, बुधवार)

व्रत का पारणः 26 सितंबर 2024

आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी प्रारंभः 12.38 PM (24 सितंबर 2024)

आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी समाप्त 12.10 PM (25 सितंबर 2024)

उदया तिथि के अनुसार जिवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर 2024 को रखा जाएगा

जिवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि

आश्विन माह कृष्ण पक्ष के दिन अष्टमी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि के बाद सूर्य देवा का मंत्र पढ़ते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें. अब घर के मंदिर के समक्ष एक चौकी बिछाकर इस पर लाल रंग का स्वच्छ वस्त्र बिछाकर इस पर नयी थाली रखें. अब सूर्य देव की प्रतिमा को दूध एवं गंगाजल से स्नान करवाकर प्रतिमा को थाली में स्थापित करें. अब धूप-दीप प्रज्वलित करें और निम्न मंत्र का जाप करते हुए पूजा प्रारंभ करें.

‘कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि.’

अब मिट्टी या गाय के गोबर से चील एवं सियार की प्रतिमा बनाएं. अब कुशा से निर्मित जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाएं और इन प्रतिमा के सामने धूप-दीप, लाल पुष्प, रोली, अक्षत अर्पित करें. इसके बाद जिवित्पुत्रिका व्रत कथा को सुनें या सुनाएं. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती उतारें, और प्रसाद का वितरण करें.

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा

प्राचीनकाल में गन्धर्व राजकुमार जीमूतवाहन उदार और परोपकारी था. उनके पिता वृद्धावस्था में वानप्रस्थ आश्रम जाने से पूर्व राजसिंहासन पर बिठाकर वानप्रस्थ चले गये, लेकिन राज-पाट में रुचि नहीं रखनेवाले जीमूतवाहन भाइयों को राजपाट सौंपकर पिता के पास चले गए. उनका विवाह राजकुमारी मलयवती से हुआ. एक दिन जीमूतवाहन को विलाप करती वृद्धा दिखी. पूछने पर उसने बताया, कि वह नागवंश की स्त्री है. नागराज की शर्तों के अनुसार आज मेरे इकलौते पुत्र शंखचूड़ को गरुड़ का भक्षण बनना है. जीमूतवाहन ने उसे निश्चिंत करते हुए स्वयं जीमूतवाहन गरुड़ के भक्षण हेतु चले गए. गरुड़ बिना विलाप करते शांत जीमूतवाहन को देख चौंक पड़े. जीमूतवाहन ने उन्हें सारा किस्सा सुनाया. गरुड़राज उनकी बहादुरी और बलिदान से प्रभावित होकर जीवन-दान ही नहीं दिया, बल्कि आगे से नागों की बलि न लेने का वादा किया. तभी जीमूतवाहन की पूजा-प्रथा जारी है.

शहर पेट्रोल डीज़ल
New Delhi 96.72 89.62
Kolkata 106.03 92.76
Mumbai 106.31 94.27
Chennai 102.74 94.33
View all
Currency Price Change
Google News Telegram Bot