जितिया व्रत 2024 कब रखा जाएगा? इस साल जितिया व्रत 25 सितंबर को रखा जा रहा है. यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, और सुखी जीवन के लिए करती हैं. जितिया व्रत का पूर्वांचल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में विशेष महत्व है. इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को जीमूतवाहन की पूजा करती हैं.
जितिया व्रत का पारण कब होगा? ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जितिया व्रत का पारण 26 सितंबर, गुरुवार को किया जाएगा. पारण का शुभ समय सुबह 4:35 बजे से 5:23 बजे तक है. इस समय में विधिवत व्रत का पारण किया जाना चाहिए ताकि व्रत को पूर्ण माना जा सके.
जितिया व्रत 2024 मुहूर्त
- अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि का शुभारंभ: 24 सितंबर, मंगलवार, दोपहर 12:38 बजे से
- अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि की समाप्ति: 25 सितंबर, बुधवार, दोपहर 12:10 बजे पर
- जितिया पूजा मुहूर्त: दोपहर 03:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:36 बजे से 05:23 बजे तक
- वरीयान योग: प्रात:काल से देर रात 12:18 बजे तक
जितिया व्रत पारण विधि (Jitiya Vrat Paran Vidhi): पारण वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें और जीमूतवाहन समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें. पूजा के बाद व्रत को खोलें और दान अवश्य करें. कई जगहों पर जितिया व्रत का पारण रागी की रोटी, तोरई की सब्जी, चावल और नोनी का साग खाकर किया जाता है. पारण के दौरान इन पारंपरिक भोजनों का महत्व माना जाता है.
जितिया व्रत का महत्व (Jitiya Vrat Ka Mahatva): जितिया व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना है. यह व्रत आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को किया जाता है और बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में इसे बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु, सुख और समृद्धि मिलती है.
महिलाओं के लिए विशेष ध्यान देने योग्य बातें: जितिया व्रत में महिलाएं पूरे दिन और रात निर्जला उपवास करती हैं. इस व्रत को बीच में कभी नहीं छोड़ा जा सकता. मान्यता है कि इस व्रत के दौरान महिलाएं लाल धागा गले में पहनती हैं और कुछ महिलाएं लॉकेट भी धारण करती हैं. व्रत के दौरान सरसों का तेल और खाल चढ़ाने का प्रावधान होता है, जिसे बाद में बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के रूप में लगाया जाता है.
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. किसी भी धार्मिक विधि या परंपरा को अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.