Coronavirus Pandemic: दिसंबर 2019 में चीन (China) के हुवेई प्रांत स्थित वुहान शहर (Wuhan) के सी-फूड मार्केट (Sea Food Market) से निकला कोरोना वायरस (Coronavirus) अब दुनिया के अधिकांश देशों में दस्तक दे चुका है. यह जानलेवा वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) बनकर लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है. आलम तो यह है कि दुनिया सहित भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus In India) से संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़कर 75 हो गया है. हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम और इससे बचाव के लिए कई जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और लोग उनका पालन भी करते दिख रहे हैं.
महामारी की तरह फैल रहे कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई कारगर वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. हालांकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि वो कोरोना वायरस को आइसोलेट करने में कामयाब हुए हैं, लेकिन वैक्सीन आने में अभी कम से कम डेढ़ से दो साल का समय लग सकता है. इस वायरस से बचने के लिए इसके प्रति जागरूकता और एहतियात बेहद जरूरी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाद मरीज के शरीर में कितने दिन तक रह सकता है.
बॉडी में कई हफ्तों तक रह सकता है कोरोना वायरस
हाल ही में एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाद मरीज के श्वसन पथ में 37 दिनों तक यानी 5 हफ्तों तक जीवित रह सकते हैं और बॉडी में इसका संक्रमण कई हफ्तों तक बना रह सकता है. लांसेट मेडिकल जर्नल (Lancet medical journal) में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि चीन में डॉक्टरों ने वायरस के आरएनए का पता लगाने के लिए उन मरीजों के रेस्पिरेटरी सैंपल लिए थे, जिन्हें संक्रमित हुए 20 दिन हो चुके थे. यह भी पढ़ें: Coronavirus: डरें नहीं, लड़ें और जांच में सामने आई इन बातों पर करें गौर!
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में फैला कोरोना वायरस करीब 118 देशों में फैल गया है और दुनिया भर में 125,000 लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है, जबकि 4,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए दुनिया भर में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि वर्तमान में वायरस के प्रसार से बचने के लिए एक्सपोजर के बाद 14 दिनों की आइसोलेशन अवधि बताई गई है, लेकिन अगर कोरोना वायरस के लक्षणों के गायब होने बाद भी मरीज संक्रामक बने रहते हैं तो संगरोध से लौटने के बाद भी अनजाने में उनके जरिए इस वायरस का प्रसार हो सकता है.