Hanuman Jayanti 2025: क्या पवन-पुत्र हनुमान भगवान शिवजी के रुद्रावतार हैं? जानें क्या कहते हैं विभिन्न धार्मिक ग्रंथ?
Credit-(Latestly.Com)

  तमाम धर्म ग्रंथों में श्रीराम भक्त हनुमान को भगवान शिव का रुद्र अवतार बताया गया है. धर्म गुरुओं ने भी विभिन्न श्लोकों, चौपाइयों आदि का उल्लेख करते हुए इस बात को स्वीकारा है. हालांकि कुछ लोग इस बात से सहमत नहीं दिखते. आज हनुमान जयंती (12 अप्रैल 2025) के विशेष अवसर पर विभिन्न प्रमाणों का उल्लेख करते हुए जानने का प्रयास करेंगे, कि क्यों हनुमान जी को भगवान शिव का रुद्रावतार माना जाता है.

शिव पुराण

   शिव पुराण के अनुसार हनुमान जी भगवान शिव के रूद्र अवतार हैं. इस पुराण में उल्लेख है कि हनुमान जी की मां देवी अंजना ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव एवं वायु देवता को पुत्र प्राप्ति के लिए प्रसन्न किया था. भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि वह बिल्कुल उनके जैसा पुत्र दें. शिव जी ने अंजनीमाता को बताया कि उनके 11 वें रूद्र उनके पुत्र रूप में हनुमान नाम से जन्म लेंगे. इस कारण हनुमान जी को शिवजी का रुद्रावतार माना जाता है. यह भी पढ़ें : Second Eclipse of the Year 2025: कब लग रहा है साल का दूसरा सूर्य एवं चंद्र ग्रहण? जानें ये ग्रहण भारत में दिखेंगे या नहीं और ग्रहण की स्थिति में क्या मान्य होंगी सूतक काल की मान्यताएं!

तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा में

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन

अर्थात

हनुमान चालीसा के इस चौपाई में तुलसीदास ने भी उल्लेख किया है कि भगवान शंकर के वंशज के रूप मेंआप श्री केसरी के लिए एक सांत्वना और गौरव हैं. आपके विशाल प्रभुत्व की चमक से पूरा ब्रह्मांड प्रकाशित होगा.

हनुमान रुद्र (शंकर) के अवतार हैं, जैसा कि शिव पुराण के अध्याय 20 शतरुद्रिया संहिता में उल्लेखित है.

एकस्मिन्समये शम्भुरद्भुतोतिकरः प्रभुः। ददर्श मोहिनीरूपं विष्णोः स हि वसद्गुणः॥ ३॥

   एक बार भगवान शिव ने विष्णु जी के मोहिनी रूप को देखा.

चक्रे स्वं क्षुभितं शम्भुः कामबाणहतो यथा। स्वं वीर्यमपातयामास रामकार्यार्थमीश्वरः॥ ४॥

तद्वीर्यं स्थापयामासुः पत्रे सप्तर्षयश्च ते। प्रेरिता मनसा तेन रामकार्यार्थमादरात्॥ ५॥

तैर्गौतमसुतायां तद्वीर्यं शम्भोर्महर्षिभिः। कर्णद्वारा तथाञ्जन्यां रामकार्यार्थमाहितम्॥ ६॥

  शिवजी के अनुरोध परसप्तर्षियों नेश्रीराम के उद्देश्य से शिवजी के वीर्य कोआदरपूर्वक एक पत्ते पर ले जाकरगौतम की पुत्री अंजनी के कान के माध्यम से उसके गर्भ में प्रवेश करवा दिया.

ततश्च समये तस्माद्धनूमानिति नामभाक्र। शम्भुर्जज्ञे कपितनुर्महाबलपराक्रमः॥७॥

  कुछ समय बाद, भगवान शिव हनुमान नामक बंदर के रूप में प्रकट हुए जो काफी पराक्रमी थे.

  हालांकिस्कंद महापुराण के अध्याय 8 केदारखंड- महेश्वर खंड में हनुमान को नंदी के अवतार के रूप में उल्लेख किया गया है. इस तरह चूंकि नंदी भी शिव जी का आंशिक अवतार हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से हनुमान को शिव का अवतार बनाता है.

स्कंद पुराण के अनुसार शिव जी के प्रिय अनुयायी सिलाद-पुत्र नंदी ने अपार तेज वाले विष्णु की सहायता करने के लिए वानर हनुमान के रूप में अवतार लिया.

अंतरभेद के कारण

 वाल्मीकि रामायण इस बात की पुष्टि करती है कि हनुमान केवल वायु देवता के अवतार हैं. शिव पुराण में हनुमान को शिव का अवतार बताया गया है. प्रसिद्ध तमिल रामायण कम्ब में कहा गया है कि हनुमान वायु देवता के पुत्र थेजिन्होंने अपनी ऊर्जा हनुमान में निवेश की थी, इसके बाद शिव जी ने भी हनुमान में अपनी ऊर्जा निवेश की. इस तरह हनुमान वायु देवता के अवतार हैं.