हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार बुद्धि के देवता भगवान श्रीगणेश के बारे में विख्यात है कि वे अपने भक्तों पर बहुत जल्दी बलिहारी हो जाते हैं. वहीं ज्योतिष शास्त्रियों का मानना है कि गणेशजी की जयंती के दिन श्रीगणेशजी की षोडशोपचार विधि से पूजा करते समय उनके विशेष मंत्रों का क्रमशः जाप किया जाये तो गणपति बप्पा की कृपा से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हिंदी पंचांग के अनुसार इस वर्ष गणेश जयंती 04 फरवरी शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. आइये जानें कब और किन-किन मंत्रों का जाप करने से जातक के जीवन पर क्या असर पड़ता है.
माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी की जंयती मनायी जाती है. इस दिन को विभिन्न स्थानों पर माघ चतुर्थी, तिलकुट चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी, एवं वरद चतुर्थी के नाम से भी पुकारा जाता है. गणेश पुराण के अनुसार माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन गणेशजी का जन्म हुआ था. गणेशजी को सृष्टि का प्रथम देव माना जाता है, इसलिए हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता का धार्मिक एवं मांगलिक कर्मकाण्ड अथवा अनुष्ठान शुरु करने से पूर्व सर्वप्रथम गणेशजी की स्थापना एवं पूजा की जाती है, ताकि उसे कार्य में सफलता हासिल हो. आइये जानें भगवान श्रीगणेश जी के आह्वान से लेकर विसर्जन तक के मंत्र, जिनकी शक्ति अपरंपार मानी जाती है. यह भी पढ़ें : Ganesh Jayanti Messages 2022: गणेश जयंती पर ये हिंदी मैसेजेस HD Wallpapers और GIF Greetings के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं
गणेश जी का आह्वान मंत्र
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाश कारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
गणेशजी का आह्वान के बाद गणेशजी की प्राण प्रतिष्ठा करनी होती है. प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।
गणेश जी की प्रतिमा को आसन पर स्थापित करने का मंत्र
गणेशजी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करने से पूर्व आसन पर गंगाजल का छिड़काव कर उसे शुद्ध करें. अब प्रतिमा को आसन पर बिठाते समय निम्न मंत्र का जाप करें.
रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।
पंचामृत स्नान-मंत्र
चौकी पर प्रतिमा की स्थापना के पश्चात गणेशजी की प्रतिमा को पहले पंचामृत से फिर गंगाजल से स्नान करवायें. साथ-साथ इस मंत्र का जाप भी करें.
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:। स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे।।
पहले दूध् से स्नान कराएं और यह मंत्र दोहराएं। कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम।
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं।। दही से स्नान कराते वक्त यह मंत्र दोहराएं
पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं। ध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां।।
घी से स्नान कराते वक्त यह मंत्र दोहराएं। नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।। शहद से स्नान करते वक्त यह मंत्र दोहराएं।
तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः। तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
पंचामृत से स्नान कराते वक्त यह मंत्र दोहराएं। पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।। आखिर में शुद्ध जल से स्नान कराएं और यह मंत्र दोहराएं।
मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम। तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
विसर्जन मंत्र
हिंदू धर्म के अनुसार गणेशजी की विधिवत पूजा के पश्चात उसी सम्मान के साथ उनका विसर्जन करना भी आवश्यक होता है. ये मंत्र भी बहुत प्रभावशाली होता है. इस मंत्र के जाप से गणेशजी प्रसन्न होकर जातक की हर मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं. ये मंत्र है...
ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थाने परमेश्वर
यत्र ब्रह्मादयो देवाः, तत्र गच्छ हुताशन ।।
ॐ श्री गणेशाय नमः, ॐ श्री गणेशाय नमः, ॐ श्री गणेशाय नमः।