World Post Day 2019: एक दौर ऐसा भी था जब दूर रहने वाले लोग अपने परिवार के सदस्यों का हालचाल जानने के लिए खत (Letter) लिखा करते थे. खत मिलने के बाद परिवार के लोग भी इसके जवाब में खत लिखकर अपनी कुशलता जाहिर करते थे, लेकिन स्मार्टफोन (Smartphones) और इंटरनेट (Internet) के इस आधुनिक युग में खत लिखना या खत के आने का इंतजार करना मानों बहुत पुरानी बात हो गई है. जी हां, इंटरनेट और मोबाइल फोन की इस क्रांति के चलते पलक झपकते ही दुनिया के किसी भी कोने में मैसेज भेजा जा सकता है और फोन के जरिए बात की जा सकती है. हालांकि इंटरनेट के इस दौर में भी अधिकांश लोगों का पोस्ट सेवा (Postal Service) पर भरोसा कायम है. लोगों को डाक सेवाओं और डाक विभाग के प्रति जागरूक करने के मकसद से हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस (World Post Day) मनाया जाता है.
आज भी एक शहर से दूसरे शहर तक सूचना पहुंचाने के लिए पोस्ट सेवा को विश्वसनीय, आसान और सस्ता साधन माना जाता है. चलिए वर्ल्ड पोस्ट डे (World Post Day) पर जानते हैं इस दिवस का इतिहास, महत्व और इससे जुड़ी दिलचस्प जानकारियां.
क्या है इस दिवस का इतिहास?
‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ का गठन करने के लिए 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में 22 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे. भारत 1 जुलाई 1876 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला पहला एशियाई देश था. जनसंख्या और अंतरराष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के अनुसार, भारत शुरुआत से ही पहले श्रेणी का सदस्य रहा है. हालांकि सयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद साल 1947 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बनकर रह गई. यह भी पढ़ें: 18 फरवरी 1911 में कुंभ पर शुरू हुई थी दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा
विश्व डाक दिवस का महत्व
आधुनिक तकनीक और इंटरनेट के इस दौर में कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नई तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है. नई तकनीक आधारित सेवाओं की शुरुआत करीब 20 साल पहले की गई थी और इसके बाद इन सेवाओं को और विकसित किया गया. एक अध्ययन में यह पाया गया है कि दुनियाभर में वर्तमान समय में 55 से भी ज्यादा विभिन्न प्रकार की पोस्टल ई सेवाओं का विकल्प मौजूद है. इस दिवस को मनाकर दुनिया भर के लोगों को डाक सेवाओं और डाक विभाग के प्रति अधिक जानकारी पहुंचाने के साथ-साथ उन्हें इसके प्रति जागरूक भी किया जाता है.
142 देशों में उपलब्ध है पोस्टल कोड
डाक सेवा के जरिए किसी चीज को भेजने के लिए उस स्थान के पोस्टल कोड की जरूरत होती है. आपको बता दें कि दुनिया भर के करीब 142 देशों में पोस्टल कोड उपलब्ध हैं. 160 देशों की डाक सेवाएं यूपीयू की अंतरराष्ट्रीय पोस्टल सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल डॉक के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन और निगरानी के लिए करती हैं. बात करें भारतीय डाक विभाग की तो यह पिनकोड नंबर यानी पोस्टल इंडेक्स नंबर के आधार पर देश में डाक वितरण का काम करता है.
भारत में पिनकोड नंबर की शुरुआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी, जिसके अंतर्गत डाक विभाग द्वारा देश को नौ भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पिनकोड में इस्तेमाल होने वाली 1 से 8 तक की संख्या भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाती है, जबकि 9 नंबर सेना डाक सेवा को दिया गया है. पिनकोड में इस्तेमाल होने वाली संख्याओं में पहली संख्या क्षेत्र, दूसरी संख्या उपक्षेत्र, तीसरी संख्या जिला और आखिरी की तीन संख्याएं उस जिले के विशिष्ट डाकघर को दर्शाती हैं.
दुनिया का पहला डाक टिकट
दुनिया का पहला डाक टिकट आज से करीब 178 साल पहले जारी हुआ था. हालांकि इस डाक टिकट का इस्तेमाल पहली बार 6 मई 1840 को किया गया था. दुनिया के पहले डाक टिकट को ब्रिटेन में जारी किया गया था और उसका नाम ब्लैक पेनी रखा गया था.
भारत का पहला डाक टिकट
भारत का पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी किया गया था, जिसका इस्तेमाल सिर्फ देश के भीतर डाक भेजने के लिए किया गया. भारत के पहले डाक टिकट पर भारतीय तिरंगे का चित्र अंकित था और जय हिंद लिखा हुआ था. आजाद भारत के इस पहले डाक टिकट की कीमत साढ़े तीन आना यानी 14 पैसे थी. यह भी पढ़ें: मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया ने जारी किया रामायण पर विशेष स्मारक डाक टिकट
भारत में डाक विभाग का सफर
- करीब 252 साल पहले यानी 1766 में भारत में डाक व्यवस्था शुरू हुई थी.
- साल 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने कोलकाता में पहला डाकघर स्थापित किया था.
- भारत में पहली बार चिट्ठी पर डाक टिकट लगाने की शुरूआत साल 1852 में हुई थी.
- देश में 1 अक्टूबर 1854 को महारानी विक्टोरिया के चित्र वाला डाक टिकट जारी हुआ था.
- भारत में एक विभाग के तौर पर डाक विभाग की स्थापना 1 अक्टूर 1854 को की गई थी.
- भारत में 1.50 लाख से ज्यादा पोस्ट ऑफिस हैं, जिनमें से 89.87 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.
गौरतलब है कि आजाद भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ऐसे पहले भारतीय थे, जिन पर डाक टिकट जारी हुआ था. इसके बाद 20 अगस्त 1991 को भारत का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर जारी किया गया. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर पर भी डाक टिकट जारी किया गया है. वो भारत के पहले ऐसे जीवित इंसान है, जिन पर 14 नवंबर 2013 को डाक टिकट जारी किया गया था. भारत में अब तक कई हस्तियों के नाम पर डाक टिकट जारी किए जा चुके हैं.