Vijaya Ekadashi 2021: शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली विजया एकादशी कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
भगवान विष्णु (Photo Credits: Instagram)

Vijaya Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) को सभी व्रतों में श्रेष्ठ और उत्तम फलदायी माना जाता है. वैसे तो साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशियों का अपना एक अलग महत्व है, लेकिन फाल्गुल मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली एकादशी कहलाती है, इसलिए इसे विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) कहते हैं. इस साल विजया एकादशी 9 मार्च 2021 यानी कल पड़ रही है. इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर और अपने सभी कार्यों में विजय की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat), भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा विधि और इस एकादशी का महत्व.

विजया एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त

विजया एकादशी 2021- 09 मार्च 2021 (मंगलवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ- 08 मार्च 2021 को दोपहर 03.44 बजे से,

एकादशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2021 को दोपहर 03.02 बजे तक.

पारण का समय- 10 मार्च 2021 को सुबह 06:36 बजे से सुबह 08:58 बजे तक.

विजया एकादशी पूजा विधि

इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें, फिर अपने नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद विजया एकादशी व्रत का संकल्प लें और पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 प्रकार के अनाज रखें. उसके बाद वेदी के ऊपर एक कलश रखें और भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें. यह भी पढ़ें: March 2021 Festival Calendar: मार्च में मनाएं जाएंगे महाशिवरात्रि और होली जैसे बड़े पर्व, देखें इस महीने पड़ने वाले व्रत व त्योहारों की लिस्ट

भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, मिठाई और तुलसी अर्पित करें. धूप-दीप प्रज्जवलित करके विजया एकादशी की कथा पढ़ें या सुने. पूजा के दौरान 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जप करें और आखिर में घी के दीपक से आरती करें. इस दिन रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन इत्यादि करने का भी विधान है, फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें.

विजया एकादशी का महत्व

प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार, विजया एकादशी का व्रत स्वंय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने किया था, जिसके प्रभाव से उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की थी. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और जातक को जीवन में किसी भी वस्तु की कमी नहीं रहती है. जिन लोगों के जीवन में किसी प्रकार के शत्रुओं का भय हो या फिर उनके कार्य बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए. इसके अलावा इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.