Vat Purnima 2023 Wishes in Hindi: विवाहित महिलाएं (Married Women) अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना से साल में कई व्रत करती हैं. उन्हीं व्रतों में से एक वट पूर्णिमा (Vat Purnima) का त्योहार है, जिसे इस साल 3 जून 2023 को मनाया जा रहा है. वट सावित्री (Vat Savitri) का त्योहार सुहागन महिलाओं द्वारा साल में दो बार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, देश के कुछ हिस्सों में ज्येष्ठ मास की अमावस्या को तो कुछ जगहों पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में ज्येष्ठ अमावस्या को महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं, जिसे वट सावित्री व्रत (Vat Savitri) के नाम से जाना जाता है. जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा को महिलाएं यह व्रत करती हैं, जिसे वट पूर्णिमा (Vat Purnima) के नाम से जाना जाता है.
वट पूर्णिमा के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से न सिर्फ व्रत रखती हैं, बल्कि सोलह श्रृंगार करके विधिवत वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इस अवसर पर शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप भी इन विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए पर्व की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- दिल खुशियों का आशियाना है,
इसे दिल में बसाए रखना,
पत्नी रखती है व्रत आपके लिए,
आप भी उन्हें जिंदगी भर हंसाए रखना.
वट पूर्णिमा की शुभकामनाएं
2- बिना खाए पिए व्रत करना,
प्रेम की अटूट परिभाषा है,
हम यूं ही प्रेम बंधन में बंधे रहें,
मेरे दिल की बस यही आशा है.
वट पूर्णिमा की शुभकामनाएं
3- जोड़ी मेरी तेरी कभी ना टूटे,
हम-तुम कभी एक-दूजे से ना रूठें,
हम दोनों 7 जन्म साथ निभाएंगे,
हर पल की मिलकर खुशियां मनाएंगे.
वट पूर्णिमा की शुभकामनाएं
4- रखा है व्रत मैंने,
बस एक ख्वाहिश के साथ.
लंबी हो उम्र आपकी.
और हर जन्म में मिले.
हमें एक-दूजे का साथ.
वट पूर्णिमा की शुभकामनाएं
5- सुख-दुख में हम तुम,
हर पल साथ निभाएंगे,
एक जन्म नहीं सातों जन्म,
हम पति-पत्नी बन आएंगे.
वट पूर्णिमा की शुभकामनाएं
वट पूर्णिमा की पूजा भी वट सावित्री व्रत की पूजा जैसी ही होती है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष यानी बरगद के वृक्ष के नीचे सत्यवान और सावित्री की प्रतिमा रखकर विधि-विधान से पूजा करती हैं. पूजन के दौरान वट वृक्ष को जल अर्पित करने के बाद कच्चे सूत को वट वृक्ष में लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करती हैं, फिर सत्यवान और सावित्री का कथा पढ़ी या सुनी जाती है. ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे, इसलिए इस पर्व को अखंड सौभाग्य का पर्व माना जाता है.