Swami Samarth Prakat Din 2022 Greetings: स्वामी समर्थ प्रकट दिन की हार्दिक बधाई, शेयर करें ये मराठी WhatsApp Wishes, Messages और HD Images
श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022 (Photo Credits: File Image)

Swami Samarth Prakat Din 2022 Greetings: आज यानी 3 अप्रैल 2022 को श्री स्वामी समर्थ महाराज के प्रकट दिन (Swami Samarth Maharaj Prakat Din) का उत्सव मनाया जा रहा है. खासकर, महाराष्ट्र में इस उत्सव की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, श्री स्वामी समर्थ (Shree Swami Samarth), श्री दत्त महाराज के पूर्ण ब्रह्म स्वरुप के तीसरे अवतार माने जाते हैं, जबकि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, श्रीपाद वल्लभ और नृसिंह सरस्वती के बाद श्री दत्तात्रेय (Dattatreya) तीसरे पूर्णावतार माने जाते हैं. कहा जाता है कि गाणगापुर के श्री नृसिंह सरस्वती ही श्रीशैलम के पास कर्दली वन में स्वामी समर्थ के रूप में प्रकट हुए थे. अपने अवतरण के बाद चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पहली बार स्वामी समर्थ महाराष्ट्र के अक्कलकोट नगर पहुंचे थे, इसलिए इस पावन तिथि पर स्वामी समर्थ महाराज का प्रकट दिवस मनाया जाता है.

महाराष्ट्र के अक्कलकोट में श्री स्वामी समर्थ महाराज 1856 से 1878 तक दत्त संप्रदाय के महान संत रहे हैं. स्वामी समर्थ महाराज के प्रकट दिन पर उनके अनुयायी एक-दूसरे को शुभकामना संदेश भेजकर बधाई देते हैं. इस खास अवसर पर आप भी इन मराठी ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप विशेज, मैसेजेस और एचडी इमेजेस को भेजकर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को स्वामी समर्थ प्रकट दिन की हार्दिक बधाई दे सकते हैं.

1- श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022

श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022 (Photo Credits: File Image)

2- श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022

श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022 (Photo Credits: File Image)

3- श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022

श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022 (Photo Credits: File Image)

4- श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022

श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022 (Photo Credits: File Image)

5- श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022

श्री स्वामी समर्थ प्रकट दिन 2022 (Photo Credits: File Image)

कहा जाता है कि आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम क्षेत्र के पास कर्दली वन में स्वामी समर्थ प्रकट हुए थे. वे सन 1856 में चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि को अक्कलकोट में अवतरित हुए थे, इसलिए इस क्षेत्र को तीर्थ स्थल के तौर पर जाना जाता है. श्री स्वामी समर्थ महाराज ने त्र्यंबकेश्वर स्थित शेगाव के श्री गजानन महराज और शिर्डी के श्री साई महाराज को दीक्षा दी थी. अक्कलकोट में स्वामी समर्थ महाराज ने अपने जीवन काल में लोगों का उचित मार्गदर्शन किया और फिर 30 अप्रैल 1878 के दिन अक्कलकोट में ही वटवृक्ष समाधी मठ स्थान पर उन्होंने अपने अवतारकार्य की समाप्ति की थी.