Surya Grahan 2020: भारत में कितनी प्राचीन प्रथा है सूर्यग्रहण की? जानें वेद, पुराण, रामायण और महाभारत क्या कहते हैं इस संदर्भ में?
सूर्य ग्रहण 2020 (Photo Credits: Pixabay)

Surya Grahan 2020: साल 2020 का आखिरी सूर्यग्रहण (Surya Grahan) भारतीय समयानुसार आज सायंकाल 07.03 बजे से शुरु होकर मध्यरात्रि 12.23 बजे समाप्त हो जायेगा. यह भारत में नजर नहीं आयेगा, इसलिए यहां सूतक काल का प्रभावी नहीं रहेगा. विज्ञान की दृष्टि से सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन भारतीय आध्यात्म के नजरिए से सूर्यग्रहण का संबंध ग्रहों एवं नक्षत्रों से जुड़ा है और यह प्रथा बहुत प्राचीनकाल से चली आ रही है. ऋग्वेद और अथर्ववेद में सूर्यग्रहण की चर्चा की गई है. इन पुराणों में सूर्य को सबसे बड़ा और प्रभावशाली ग्रह बताया गया है, इसलिए सूर्यग्रहण के साथ हमारा संबंध पुरातनकाल से रहा है. आज हम सूर्यग्रहण के इसी रोचक पहलू पर बात करेंगे.

जब महर्षि अत्रि ने अपनी मंत्र-शक्ति से सूर्य को ग्रहण मुक्त किया 

भारत प्राचीनकाल से ऋषि-महर्षियों का देश रहा है और महर्षि अत्रि महान दृष्टा के रूप में जाने जाते हैं. ऋग्वेद के अनुसार सूर्यग्रहण के संदर्भ में सर्वप्रथम उन्होंने ही ज्ञान दिया था. ऋग्वेद के 40वें सूक्त के एक मंत्र में सूर्यग्रहण का वर्णन है कि पृथ्वी पर कुछ समय के लिए अंधेरा छा गया, दिन में अचानक अंधेरा होने से मानव और जीव-जंतु जब व्याकुल होने लगे, तब अन्य ग्रहों ने सूर्यदेव से कहा, -हे सूर्यदेव! दुष्ट राहु ने आप पर आक्रमण कर अंधकार से आपको ढंक दिया है, इसलिए मानव एवं पशु-पक्षी आपके पूर्ण स्वरूप को नहीं देख पाने के कारण व्याकुल हो गये हैं. इसके बाद महर्षि अत्रि ने अपनी मंत्र शक्ति से राहु के प्रकोप को खत्म कर पृथ्वी को पुनः प्रकाशमान कर दिया. ग्रहण के समय सूतकाल की जो प्रथाएं हैं, उसका उल्लेख अर्थर्वेद में भी मिलता है. विद्वानों के अनुसार सामवेद में भी सूर्यग्रहण का उल्लेख है. यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2020: भारत में सूर्य ग्रहण पर सूतक काल! जानें क्या इस सूर्यग्रहण में सूतककाल के दोष लागू होंगे? ज्योतिषि क्या कहते हैं

श्रीराम ने सूर्य-ग्रहण के दिन किया था खर-दूषण का वध!

महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के अरण्यकाण्ड के तेइसवें सर्ग के शुरुआती 15 श्लोकों में सूर्य ग्रहण के बारे में उल्लेखित है कि वनवास के 13वें साल के मध्य में श्रीराम का खर-दूषण नामक राक्षसों के साथ युद्ध हुआ था. उस समय सूर्यग्रहण लगा था और यह मंगल ग्रह के मध्य में था. इस तारीख की सच्चाई जानने के लिए जब कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से जांच की गई तो पता चला था कि यह तिथि 7 अक्टूबर 5077 ईसा पूर्व अमावस्या की ही थी. कहने का आशय यह कि आज (2020) से 7097 वर्ष पहले भगवान श्रीराम ने खर-दूषण का वध किया था. इस दिन जो सूर्यग्रहण लगा था उसे पंचवटी (20 डिग्री उत्तर 73 डिग्री पूर्व) से देखा जा सकता था. उस दिन ग्रहों की स्थिति वैसी ही थी जैसी वाल्मीकि जी ने वर्णित की है. यानी मंगल ग्रह मध्य में था. एक दिशा में बुध, शुक्र तथा बृहस्पति थे तथा दूसरी दिशा में चंद्रमा, सूर्य तथा शनि थे. यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2020: साल का आखिरी सूर्यग्रहण! जानें सूतककाल में नहीं होने पर भी क्यों माना जा रहा है खास?

सूर्यग्रहण की समाप्ति पर अर्जुन ने किया था जयद्रथ का वध!

मान्यता है कि सूर्यग्रहण के प्रभाव से महाभारत का युद्ध शुरु हुआ था और लाखों योद्धाओं का जीवन समाप्त होने के बाद अंतिम दिन भी सूर्यग्रहण लगा था. गौरतलब है कि महाभारत युद्ध में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के मृत देह पर गदा चलाने वाले जयद्रथ का वध का संकल्प लेते हुए कहा था कि सूर्यास्त के पूर्व अगर वे जयद्रथ को नहीं मार सके तो अग्निदाह कर लेंगे, लेकिन सूर्यास्त के पूर्व जब रणभूमि पर अंधेरा छा गया तो जयद्रथ ने अर्जुन को अग्निदाह के लिए उकसाया, लेकिन इससे पहले कि अर्जुन अग्निदाह करते, सूर्यग्रहण खत्म हो गया. सूर्य को पुनः चमकते देख अर्जुन ने अपने गांडीव से जयद्रथ के शरीर को तीरों से बेध डाला.