Surya Grahan 2020: साल का आखिरी सूर्यग्रहण! जानें सूतककाल में नहीं होने पर भी क्यों माना जा रहा है खास?
सूर्य ग्रहण 2020 (Photo Credits: Pixabay)

Surya Grahan 2020: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल का यह अंतिम सूर्यग्रहण भारत में किसी भी जिला या प्रदेश में नहीं दिखेगा, क्योंकि जिस समय सूर्यग्रहण लग रहा है, उस समय समस्त भारत में सूर्यास्त हो चुका होगा. इसके बावजूद विद्वानों एवं ज्योतिषियों का मत है कि साल का यह अंतिम सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखने के बावजूद भारत के लिए खास प्रभाव छोड़ सकता है. आइये जानें बीत रहे इस साल के अंतिम सूर्यग्रहण को ज्योतिषि क्यों खास बता रहे हैं.

सूर्यग्रहण को लेकर क्यों गंभीर हैं ज्योतिषगण

साल 2020 का अंतिम सूर्यग्रहण लगने में बस कुछ ही घंटे शेष हैं, एक तरफ वैज्ञानिक जहां इसे सामान्य खगोलीय घटना से ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे हैं, वहीं कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्यग्रहण को हमें हलके से नहीं लेना चाहिए. उनके अनुसार सूर्यग्रहण अकसर अपने दुष्प्रभाव छोड़ने में सफल रहा है. गत वर्ष 2019 में 26 दिसंबर को लगे सूर्यग्रहण के बाद कोरोनावायरस का कहर अब तक करोड़ों लोगों की जान ले चुका है, इसकी दहशत आज भी बनी हुई है. यह भी पढ़े: Surya Grahan 2020: ‘रिंग ऑफ फायर’ होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, देश में कहीं वलयाकार तो कहीं आंशिक तौर पर दिखेगी यह खगोलीय घटना

. इससे पहले 5 फरवरी 1962 में लगे सूर्यग्रहण ग्रहण का प्रभाव भी कम विभत्सकारी नहीं था, जब 'क्यूबा-मिसाइल' के संकट के कारण अमेरिका और रूस के बीच भयंकर युद्ध की तलवारें खिंच गई थी. उसी साल भारत को भी चीन का आक्रमण झेलना पड़ा था, जिसमें सैकड़ों भारतीय सैनिक काल-कवलित हुए और भारत का एक बड़ा भू भाग सियाचीन हाथ से चला गया.

देश और घर के मुखिया रहें संभलकर

ज्योतिष शास्त्र चूंकि सूर्यग्रहण सभी ग्रहों का मुखिया होता है, इसलिए सूर्य जब ग्रसित होता है तो इसका असर घर अथवा देश के मुखिया पर भी पड़ता है. ऐसे में इस ग्रहणकाल में उन्हें काफी संभल कर रहना होगा. अकसर देखा गया है कि सूर्यग्रहण काल में बहुत से दिग्गज नेता महामृत्युंजय का जाप भी करवाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग-अलग तरीके से अपना प्रभाव दिखाता है. सूर्यग्रहण के प्रभाव को भिन्न-भिन्न राशियों के अनुरूप समझा जा सकता है.

गर्भवती महिलाएं अपने गर्भस्थ शिशु की रक्षा करें.

सूर्यग्रहण का सबसे बुरा असर गर्भवती माताओं के कोख में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है. ऐसी महिलाओं को अपने गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा. क्योंकि सूर्यग्रहण के दोष का असर अकसर शिशुओं में देखने को मिलता है. इसलिए सूर्यग्रहण भारत में दिखे या न दिखे, मगर इस काल में उन्हें किसी भी कार्य विशेष से दूर रहना चाहिए. कोशिश करें कि साल के इस 5 घंटे 20 मिनट की अवधि वाले ग्रहण काल में वे घर के भीतर ही रहें. ग्रहणकाल में भोजन अथवा किसी भी खाद्य-पदार्थ का सेवन करने से बचें. इस काल में अपने ईष्ट देव का ध्यान करें, और चाकू, कील, सुई, कैंची जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करें.