Sindhara Dooj 2025: हरियाली तीज से एक दिन पूर्व क्यों मनाया जाता है सिंधारा दूज? जानें कैसे करते हैं इसका सेलिब्रेशन!
सिंधारा दूज (Photo: File Image)

Sindhara Dooj 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन ‘सिंधरा दूज’ मनाया जाता है. खासकर उत्तर भारत में सुहागन महिलाएं बड़ी धूमधाम से से मनाती हैं. इस दिन मायके वाले अपनी बेटी को आशीर्वाद और उपहार देते हैं. यह पर्व सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है. इसे 'सौभाग्य दूज', 'प्रीति द्वितीया' अथवा 'गौरी द्वितीया' जैसे नामों से भी जाना जाता है. हमेशा की तरह इस वर्ष भी हरियाली से एक दिन पूर्व सिंधारा दूज (26 जुलाई 2025, शनिवार) को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं, सिंधारा दूज का महत्व, मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में...यह भी पढ़ें: Sawan Kamika Ekadashi 2025: सावन मास की कामिका एकादशी; दुर्लभ संयोग का हो रहा निर्माण, ऐसे करें महादेव-नारायण की पूजा

सिंधारा दूज का महत्व

यह पर्व पारिवारिक संबंधों और महिलाओं के बीच के बंधन पर परिभाषित करता है. जिसमें मां बेटियों को आशीर्वाद एवं उपहार देते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य वैवाहिक सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देना है, जिसमें पति के स्वस्थ जीवन और परिवार की समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है. इस पर्व के अवसर पर घरों में रंगारंग कार्यक्रम, अनुष्ठान, गीत एवं नृत्य का आयोजन होता है. यह भी पढ़ें: Sawan Pradosh Vrat 2025: क्यों खास माना जा रहा है यह श्रावण प्रदोष व्रत? जानें किन विशिष्ट कामनाओं की पूर्ति के लिए करें यह व्रत!

कब है सिंधारा दूज?

श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः

शुक्ल पक्ष का आरंभ: 26 जुलाई, 2025

श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः 11.22 PM, (25 जुलाई 2025)

श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया समाप्तः 10.43 pm (26 जुलाई 2025)

चंद्र कैलेंडर के अनुसार सिंधारा दूज 26 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा.

सिंधारा दूज सेलिब्रेशन

गुड़ दान: इस दिन, जरूरतमंदों को गुड़ दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है, दाम्पत्य जीवन को मधुर, खुशहाल एवं सशक्त बनाता है.

सफेद वस्त्र भेंट करना: इस दिन जरूरतमंदों को सफेद वस्त्र के दान का भी विधान है. ऐसा करने से भगवान शिव और चंद्र देव का आशीर्वाद भी मिलता है.

सिंदूर लगाना: इस दिन मंदिर के पुरोहित सुहागिनों को सिंदूर वितरित करते हैं, इस सिंदूर से सुहागन अपनी मांग भरकर अपने पति को दीर्घायु होने की प्रार्थना करती हैं.

सोलह श्रृंगार अर्पित करना: महिलाएं देवी गोरी से अपने पति की दीर्घायु और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करती हैं, और देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करती हैं.

खीर बनाना: सिंधारा दूज के दिन चावल और दूध की खीर दान करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, और सफलता नये मार्ग प्रशस्त होते हैं.

झूला झूलनाः सिंधारा दूज के दिन जगह-जगह झूले डाले जाते है. महिलाएं झूला झूलती हैं, और कजरी गाती हैं, और मेहंदी लगाती है.