
Shankaracharya Jayanti 2025 Wishes: आदि शंकराचार्य जयंती (Shankaracharya Jayanti 2025) को भारतीय गुरु और दार्शनिक आदि शंकराचार्य की जयंती के रूप में मनाया जाता है. आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालडी (आधुनिक केरल) में 788 ई. में हुआ था और वे 32 वर्ष की छोटी उम्र में 820 ई. में अदृश्य हो गए थे. आदि शंकराचार्य जयंती वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है और यह अप्रैल और मई के बीच आती है. इस साल यह 2 मई को मनाई जा रही है. शंकराचार्य ने अद्वैत वेदान्त के सिद्धांत को समेकित किया और इसे उस समय पुनर्जीवित किया जब हिंदू संस्कृति पतन की ओर थी. आदि शंकराचार्य, माधव और रामानुज के साथ हिंदू धर्म के पुनरुत्थान में सहायक थे. इन तीनों शिक्षकों ने ऐसे सिद्धांत बनाए जिनका पालन आज भी उनके संबंधित संप्रदाय करते हैं. वे हिंदू दर्शन के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं. यह भी पढ़ें: Parshuram Jayanti 2025: परशुराम का पूर्व नाम क्या था? वे उग्र स्वभाव के क्यों थे? जानें उनकी जयंती की मूल तिथि एवं महत्व!
उन्होंने 8वीं शताब्दी के दौरान अद्वैत वेदांत को पुनर्जीवित किया और हिंदू दर्शन को एकीकृत किया. उनकी शिक्षाएँ भारतीय विचार, आध्यात्मिकता और संस्कृति को प्रभावित करती रहती हैं. 2025 में भारत इस पूजनीय संत की 1237वीं जयंती मनाएगा, जिन्होंने धर्म और आध्यात्मिक एकता स्थापित करने के लिए पूरे देश की यात्रा की. एक विलक्षण बालक होने के कारण उन्होंने बहुत कम उम्र में ही संन्यास ले लिया और सनातन धर्म और वैदिक ज्ञान के सार को पुनर्जीवित करने के लिए पैदल ही पूरे भारत की यात्रा की. आदि शंकराचार्य जयंती के इस खास मौके पर आप इन ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ, एचडी इमेजेस, वॉलपेपर्स को भेजकर अपनों को बधाई दे सकते हैं.
1. जिन्होंने सब को सच्चा मार्ग दिखाया
हम सब उनको प्रणाम करते हैं
आज शंकराचार्य जयंती के अवसर पर
आपको शुभकामनाएं

2. धन कितना भी पा लीजिए मन रहता है बेचैन
ईश्वर धन एक बार पा लीजिए मिल जाएगा सुख चैन
शंकराचार्य जयंती की बधाई

3.माटी का इंसान तू तेरी क्या मजाल है
ईश्वर पर विश्वास कर जीवन होगा खुशहाल
शंकराचार्य जयंती की शुभकामनाएं!

4. शंकराचार्य जी की बात का
खुद से कर मनन
अगर सच्चा मार्ग तुमने पा लिया
छू लोगें तुम गगन
शंकराचार्य जी की जयंती पर उनको कोटि कोटि नमन!

5. वेदांत व उपनिषद व्याख्यता एवं सनातन संस्कृति के सूत्रधार
आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती पर शत्-शत् नमन!

मान्यताओं के अनुसार, आदि शंकराचार्य का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी माता का नाम विशिष्ठा देवी और पिता का नाम शिवगुरु था. शास्त्रों के अध्ययन के बाद जब आदि शंकराचार्य ने देखा कि देश में हिंदू धर्म पर अन्य धर्मों के लोग अपना प्रभाव डाल रहे हैं तो वो भारत भ्रमण पर निकले और उन्होंने हिंदुओं को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया. कहा जाता है कि जब वे तीर्थ स्थानों की यात्रा करते हुए केदारनाथ पहुंचे तो वहीं पर उनकी मृत्यु हो गई. केदारनाथ में आज भी उनकी समाधि मौजूद है.