सनातन धर्म में शनि जयंती को बहुत शुभ दिन माना गया है. मान्यता है कि शनि जयंती को पूरी निष्ठा एवं आस्था के साथ मनाने से शनि के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है, और जीवन में खुशहाली आती है. हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है. इस साल शनि जयंती 10 जून को मनाई जाएगी. इस दिन को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ था. चूंकि शनि-दोष की शांति के लिए ज्येष्ठ अमावस्या का दिन सबसे अनुकूल दिन होता है. इसीलिए शनि की साढ़े साती अथवा अढैया जैसी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए इस दिन शनि देव का विधिवत पूजा एवं अनुष्ठान करना चाहिए. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanthi (Telugu) 2021 Wishes: तेलुगु हनुमान जयंती की दें शुभकामनाएं, भेजें ये WhatsApp Stickers, Facebook Greetings और GIF Images
शनि देव जिन्हें हिंदू धर्मग्रंथों में ‘कर्मफल दाता’ अथवा ‘दण्डाधिकारी’ कहा जाता है, और जो अपने न्याय के लिए लोकप्रिय हैं, उनकी एक ‘दृष्टि’ मात्र से राजा रंक और रंक राजा बन सकता है. शनि की साढ़े साती, अढैया आदि दोषों वाले जातको के लिए इस दिन का खास महत्व है. मान्यता है कि शनि राशि चक्र की 10वीं एवं 11वीं राशि मकर एवं कुंभ के अधिपति हैं. इस राशि में शनि लगभग 18 माह तक रहते हैं. शनि की महादशा का काल 19 साल का होता है. इस महादशा के बीच सभी नवग्रहों की अंतर्दशा आती-जाती रहती है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार शनि को क्रूर एवं पाप कर्मों एवं अशुभ फल देने वाला माना जाता है. लेकिन यह सत्य नहीं है, क्योंकि शनि न्याय के देवता हैं, और कर्म के अनुसार फल देनेवाले देवता हैं. वे बुरे कर्म की ही बुरी सजा और अच्छे कर्मों का अच्छा फल देते हैं.
शुभ तिथि एवं मुहूर्त
अमावस्या प्रारंभः दोपहर 13.57 बजे से (9 जून 2021)
अमावस्या समाप्तः दोपहर 04.21 बजे तक (10 जून 2021)
शनि जयंती पर ऐसे करें अनुष्ठान
शनिदेव के निमित्त पूजा करने हेतु शनि जयंती के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-दान कर नवग्रहों के सामने हाथ जोड़कर शनि देव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें. प्रतिमा को सरसों या तिल के तेल से स्नान करायें तथा षोडशोपचार विधि से पूजन करते हुए ‘ऊँ शनिश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए. यहां ध्यान दें कि साढ़े साती अथवा अढैया का दोष कम करने के लिए जातक को शनि मंदिर में पूजा अनुष्ठान करवाना चाहिए, क्योंकि शनि देव की पूजा में किसी तरह की भूल का असर जातक पर बुरा भी पड़ सकता है. पूजा शुरु करने से पूर्व जातक को शनि देव के गर्भ स्थल की सफाई करने के पश्चात शनि भगवान को जल, तेल, गंगाजल एवं पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए. अब किसी विद्वान ब्राह्मण से शनि देव का विधिवत अनुष्ठान करवाना चाहिए. पूजा के पश्चात शनि देव के नाम से सरसों का तेल, तिल एवं काले वस्त्रों का दान करना आवश्यक होता है. इसके पश्चात ही भोजन करना चाहिए.
शनि भगवान का व्रत करने के लाभ
जो जातक शनि जयंती के दिन व्रत रखता है, एवं पूजा-अनुष्ठान करवाता है, भगवान शनि के प्रताप से उसके शत्रुओं का नाश होता है और उसे हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है. शनि देव आपकी बुरी एवं नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा करते हैं. शनि भगवान की पूजा-अनुष्ठान से शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से बच जाते हैं. शनिदेव कर्ज और उधार से भी छुटकारा दिलवा कर जीवन में सुख एवं शांति लाते हैं.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.