Sankashti Chaturthi November 2019: हर महीने पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को 'संकष्टी चतुर्थी' कहा जाता है. इसका बहुत महत्व है, इस दिन लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान गणेश का व्रत रखते हैं और रात को चन्द्रमा निकलने के बाद व्रत का पारण करते हैं. जीवन से सभी समस्याएं दूर हो जाए और घर में सुख समृद्धि के लिए इस दिन भगवान गणेश का व्रत किया जाता है. संकष्टी के दिन व्रत रख, पूजा करने से बाप्पा बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण की तिथि को मनाई जाती है. पूर्णिमा के दिन आनेवाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के दिन आनेवाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. जो संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है, उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं, इसका महत्व संकष्टी चतुर्थीं से भी ज्यादा होता है.
विघ्नहर्ता गणेश वैसे तो अपने सभी भक्तों के विघ्न हर लेते हैं, लेकिन संकष्टी के दिन उनका व्रत और पूजा करना बहुत ज्यादा फलदायी होता है. इस व्रत में चन्द्रमा का भी विशेष महत्व होता है, इस व्रत में चन्द्रमा के दर्शन के बिना व्रत का पारण नहीं किया जाता, इसलिए इस दिन व्रती को चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार रहता है. आज संकष्टी चतुर्थी के दिन चांद निकलने का मुहूर्त क्या है आइए आपको बताते हैं.
चंद्रोदय मुहूर्त:
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन शुभ माना जाता है. इसलिए, पूरे दिन उपवास के बाद चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही पारण किया जाता है. ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और पूजा फलदायी मानी जाती है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आज चंद्रोदय 8 बजकर 23 मिनट पर होगा.
ऐसे करें संकष्टी चतुर्थी का व्रत
संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को काले तिल को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए. गणेश जी का दिन भर ध्यान करना चाहिए. इस दिन सिर्फ फलाहार ही करना चाहिए. रात को व्रत का पारण करने से पहले फिर से स्नान करना चाहिए. फिर एक साफ प्लेट या पीढ़े पर चावल की छोटी सी बोरी रखें. उस पर साफ पानी से भरा हुआ एक कलश रखें और उस कलश के चारों और वस्त्र लपेटें, फिर एक तौलिया बिछाएं. उसके बाद उस पर 'श्री संकटहरण गणपति' की स्थापना करें. षोडोपचार विधि से गणपति जी की पूजा करें, उन्हें लाल रंग का वस्त्र चढ़ाएं.
संकष्टी चतुर्थी महात्म्य पढ़ें, भगवान को प्रणाम करने के बाद उनकी आरती करें. पूजा में बाप्पा को मोदक का भोग लगाना न भूलें क्योंकि ये उनका पसंदीदा भोजन है. गणपति की पूजा के बाद चंद्रोदय पर उन्हें अर्घ्य दें और अक्षत चढ़ाएं. चन्द्र दर्शन के बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं.