Vinayak Chaturthi 2019: सावन मास की विनायक चतुर्थी का है खास महत्व, जानें किस विधि से पूजा करने पर मिलता है कौन सा फल
भगवान गणेश (Photo Credits: Pixabay)

Vinayak Chaturthi 2019: हिंदू पंचांगों में प्रत्येक माह में दो चतुर्थियों का उल्लेख रहता है. पहली चतुर्थी जो अमावस्या के बाद की शुक्लपक्ष में आती है, उसे विनायक चतुर्थी (vinayak Chaturthi) कहा जाता है. जबकि पूर्णिमा के बाद आनेवाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से पुकारा जाता है. चतुर्थी की ये सारी तिथियां भगवान श्री गणेशजी (Lord Ganesha) को समर्पित होती हैं. शिव पुराण में उल्लेख है कि बड़े से बड़े विघ्न को भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना से दूर किया जा सकता है, इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नविनाशक भी कहा जाता है. गौरतलब है कि साल के चौबीसों चतुर्थी की अलग-अलग मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि श्रावण शुक्लपक्ष (Sawan) की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की सच्ची निष्ठा और भक्ति से पूजा करने से गणेश जी प्रसन्न होकर सारे विघ्नों को हर लेते हैं.

पार्वती नंदन भगवान गणेश जी को सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है. मान्यता है कि किसी भी देवी-देवता का पूजा-अनुष्ठान तभी फलीभूत होता है, जब मूल पूजा करने से पूर्व श्रीगणेश जी की पूजा सम्पन्न कर ली जाए. इसीलिये हमारे पौराणिक ग्रंथों में श्रावण के विनायक चतुर्थी की महिमा का बड़ा महत्व है.

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर लाल रंग का वस्त्र पहनें. इसके पश्चात तांबे के लोटे में अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें. तत्पश्चात एक जटावाला नारियल, लाल गुलाब का फूल, दूर्वा और मोदक लेकर गणेश जी के निकटतम मंदिर में जाएं. गणेश जी की प्रतिमा के सामने शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्जवलित कर उन्हें गुलाब का फूल और दूर्वा अर्पित करें. ऐसा करते हुए ‘ॐ गं गणपतये नमो नमः’ मन्त्र का कम से कम 27 बार जाप करने के पश्चात गणेश जी से प्रार्थना करें कि वह आपके रास्ते के हर बाधाओं को दूर करें. यह भी पढें: बुधवार का दिन है भगवान गणेश के लिए बेहद खास, इस विधि से पूजा करने से दूर होते हैं जीवन के सारे विघ्न

गणेश जी की पूजा दोपहर के समय करें

विनायक चतुर्थी पर गणेश जी का पूजन दोपहर के समय करने का विधान है. दोपहर के समय अपने घर के मंदिर के सामने चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर उस पर श्री गणेश जी की प्रतिमा अथवा तस्वीर रखें. प्रतिमा पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी का होना चाहिए. मूर्ति कहीं से भी खंडित नहीं होनी चाहिए. मूर्ति प्रतिष्ठान के पश्चात गणेश जी के व्रत का संकल्प लें और अंत में गणेश जी की आरती उतारें. अब गणेश जी के सामने चढ़ा हुआ मोदक बच्चों के बीच प्रसाद स्वरूप वितरित करें.

रुकी हुई धन-संपत्ति प्राप्ति के लिए इस विधि से करें पूजा

कुछ लोगों का अपना धन (चल-अचल सम्पत्ति भी) किसी न किसी बाधा के कारण उसे प्राप्त नहीं हो पाता. ऐसी स्थिति में पूरी आस्था और विश्वास के साथ गणेश जी की निम्न विधि से पूजा-अर्चना करने से रुका हुआ धन मिल जाता है. विनायक चतुर्थी के दिन प्रातःकाल उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्री गणेश जी की पूजा करें. इस पूजा के तहत गणेश जी को उनकी प्रिय वस्तु दुर्वा की माला पहनाएं. इसके पश्चात शुद्ध घी और गुड़ का भोग चढ़ाएं. भोग लगाते समय इस मंत्र ‘वक्रतुण्डाय हुं’ का कम से कम 54 बार जाप करें. इसके पश्चात गणेश जी की प्रतिमा के सामने धन लाभ के लिए प्रार्थना करें. अब गणेश जी के सामने चढ़ा गुड़ और घी गाय को खिला दें अथवा इसे गरीब व्यक्ति को दे दें. रुके हुए धन की बाधाएं समाप्त हो जायेंगी, लेकिन इसके लिए कम से कम पांच विनायक चतुर्थी तक इसी विधान के साथ पूजा करें. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2019: सावन महीने की गणेश संकष्टी चतुर्थी का है खास महत्व, इस व्रत को करने से दरिद्रता होती है दूर

संकट दूर करने के लिए पूजा विधि

प्रातःकाल उठकर स्नान कर पीले रंग का वस्त्र पहन कर घर में स्थित मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा के सामने बैठे और शुद्ध घी में चौमुखी दीपक जलाएं. आप गणेश जी के लिए उतने ही लड्डू रखें, जितनी उम्र के आप हैं. अब एक एक करके लड्डू भगवान गणेश को चढ़ाएं और हर चढ़ाते हुए लड्डू के साथ ‘ॐ गं गणपतये नमो नमः’ का जाप भी करते जाएं. इसके बाद मन में इस विश्वास के साथ कि भगवान गणेश जी आपकी हर संकट को दूर करेंगे की प्रार्थना करें. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात एक लड्डू आप स्वयं खाएं और बाकी प्रसाद में बांट दें.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.