Margshirsh Vinayaka Chaturthi 2024: कब मनाई जायेगी मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 4 या 5 दिसंबर को? साथ ही जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं पूजा-विधि!

हिंदी पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को समर्पित है, इसलिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में चल रहे सारे विघ्न दूर हो जाते हैं. जीवन में सुख एवं शांति का वास होता है. आइये जानते हैं इस दिसंबर 2024 में किस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा, एवं क्या है इसका महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-अनुष्ठान की विधि इत्यादि...

मार्गशीर्ष मास विनायक चतुर्थी का महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान श्रीगणेश विघ्नहर्ता के रूप में भी जाने जाते हैं. अर्थात वे अपने जातकों द्वारा की गई पूजा से प्रसन्न होकर उनके कार्य में आ रहे सारे विघ्नों को हर लेते हैं, और बुद्धि में वृद्धि होती है, क्योंकि इन्हें बुद्धि एवं ज्ञान का देवता भी माना जाता है. विनायक चतुर्थी केवल उपवास और प्रार्थना का दिन नहीं है, बल्कि आत्म-चिंतन, आध्यात्मिक विकास और ज्ञान, धैर्य और सफलता के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने का भी अवसर है. मान्यताओं के अनुसार विनायक चतुर्थी को ही भगवान श्रीगणेश पैदा हुए थे. इसलिए इस दिन सभी गणेश भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से इनकी पूजा-अर्चना करते हैं. यह भी पढ़ें : Gauri Tapo Vrat 2024: गौरी तपो व्रत! मनपसंद पति के लिए रखा जानेवाला कुंवारी कन्याओं का इकलौता व्रत! जानें इसका महात्म्य, मंत्र एवं पूजा-विधान

विनायक चतुर्थी मूल तिथि एवं मुहूर्त

मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारम्भः 01.10 PM (04 दिसंबर 2024, बुधवार) से

मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 12.49 PM (05 दिसंबर 2024, गुरुवार) तक

उदया तिथि के अनुसार 5 दिसंबर 2024, बुधवार को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी.

विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्तः 11.17 AM से 01.08 PM

चंद्रास्तः 09.07 PM पर

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

मार्गशीर्ष चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों, स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान भास्कर को जल अर्पित करें. घर के मंदिर के सामने स्वच्छ स्थान पर एक चौकी रखें, इस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं. इस पर गंगाजल छिड़कें, भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. दाएं हाथ में जल, पुष्प एवं अक्षत लेकर इस मंत्र 'ॐ गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव' का जाप करते हुए भगवान गणेश को अर्पित करें. गणेश जी को रोली अक्षत का तिलक लगाएं. 21 गांठ दूर्वा, रोली, पान, सुपारी अर्पित करें. भोग में मौसमी फल और मोदक चढ़ाएं. घर में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें. गणेश चालीसा का पाठ करें. अंत में गणेश जी की आरती उतारें, और लोगों को प्रसाद वितरित करें.