
Ramkrishna Paramhans Jayanti 2025 Quotes: भारत देवों की ही नहीं, बल्कि संतों एवं ऋषि-मुनियों की भूमि भी रही है, ऐसे ही एक महान संत थे रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhans), जिन्हें मां काली (Maa Kali) का अनन्य भक्त कहा जाता है. वे स्वामी विवेकानंद के गुरु भी थे. कुशाग्र बुद्धि वाले स्वामी रामकृष्ण ने सदा से निराकार ईश्वर की उपासना पर जो दिया. उन्हें पुराण, महाभारत, भगवद् गीता और रामायण कंठस्थ थी. उन्होंने आध्यात्मिक, धार्मिक और समाजसुधार संबंधित तमाम उल्लेखनीय कार्य किए. रामकृष्ण परमहंस का जन्म फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया को हुगली (बंगाल) स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था. पिता का नाम खुदीराम और मां का नाम चंद्रावती था. उनका मूल नाम गदाधर था. 16 अगस्त 1886 को 50 साल की उम्र में परमहंस जी ने परम समाधि ली. तिथि अनुसार, इस वर्ष 01 मार्च 2025 को रामकृष्ण परमहंस की जयंती मनाई जा रही है. इस विशेष अवसर पर उनके निम्नलिखित प्रभावशाली विचारों को व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम या फेसबुक पर भेजकर अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनें, परमात्मा के प्रेम में पागल बनें.

2- बारिश का पानी ऊंचाई पर नहीं ठहरता और ढलान पर बहकर नीचे जाता है. ऐसे ही ज्ञान भी घमंड में ऊंचे उठे सिर में नहीं ठहरता.

3- विभिन्न पंथ एक ही ईश्वर तक पहुंचने के लिए अलग-अलग रास्ते हैं.

4- परम वास्तविकता' की प्राप्ति के लिए मन की पवित्रता एक आवश्यक शर्त है.

5- कई अच्छी बातें पवित्र पुस्तकों में पाई जाती हैं, लेकिन केवल उन्हें पढ़ने से कोई धार्मिक नहीं बन जाएगा.

6- यह मन ही है जो किसी को बुद्धिमान या अज्ञानी बनाता है.

7- परमात्मा का वास सभी इंसानों में है, लेकिन सभी इंसानों में परमात्मा का भाव भी हो, ये जरूरी नहीं है. इसलिए व्यक्ति अपने कर्मों की वजह से दुखी रहता है.

8- जब तक हमारे मन में इच्छाएं रहेंगी, तब तक हमें न शांति मिल सकती है और ना ही ईश्वर की भक्ति जाग सकती है.

9- नाव पानी में ही रहती है, लेकिन कभी भी नाव में पानी नहीं होना चाहिए. ठीक इसी तरह भक्ति करने वाले इस दुनिया में रहें लेकिन उनके मन में यहां की चीजों के लिए मोह नहीं होना चाहिए.

10- भगवान हर जगह है और कण-कण में हैं, लेकिन वह एक आदमी में ही सबसे अधिक प्रकट होते है, इस स्थिति में भगवान के रूप में आदमी की सेवा ही भगवान की सबसे अच्छी पूजा है.

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, श्री रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर में हुआ था, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार उनका जन्म फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था. इस साल 18 फरवरी 2025 को रामकृष्ण परमहंस की 189वीं जयंती मनाई गई. भारत के महान गुरुओं में शुमार रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं प्रेम, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार पर केंद्रित थीं.