Rajmata Jijabai Jayanti 2020: मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत बनाने में राजमाता जीजाबाई ने निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका, जानें इस वीरांगना और आदर्श माता की वीरगाथा
राजमाता जीजाबाई जयंती (Photo Credits: Facebook)

Rajmata Jijabai Jayanti 2020: एक आदर्श माता, वीरांगना और मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत बनाने में अपना अहम योगदान देने वाली राजमाता जीजाबाई की 12 जनवरी 2020 को 422वीं जयंती मनाई जा रही है. शाहजी भोसले की पत्नी और छत्रपति शिवाजी महाराज की मां को जीजाई और जीजाऊ के नाम से जाना जाता था. साहस, त्याग और बलिदान से परिपूर्ण जीवन जीने वाली जीजा माता ने सभी कठिनाइयों और चुनौतियों का डटकर सामना किया. विपरित परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ती रहीं. पति शाहजी भोसले द्वारा उपेक्षित किए जाने के बावजूद उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी के चरित्र, महत्वकाक्षाओं और आदर्शों के निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान दिया. शिवाजी महाराज के जीवन की दिशा को निर्धारित करने से लेकर उन्हें छत्रपति बनाने तक जीजाबाई का अहम योगदान रहा है.

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 को महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के पास निजामशाह के राज्य सिंधखेड़ में हुआ था. उनके पिता लखुजी जाधवराव निजामशाह के दरबार में पंचहजारी सरदार थे. उनकी माता का नाम म्हालसा बाई था. राजमाता जीजाबाई की जयंती के खास अवसर पर जानते हैं इस आदर्श मां और वीरांगना का वीरगाथा.

कम उम्र में हुआ था विवाह

जीजाबाई की शादी बहुत कम उम्र में ही हो गई थी. उनका विवाह शाहजी राजे भोसले के साथ हुआ था. शाहजी भोसले बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के दरबार में सैन्य दल के सेनापति और साहसी योद्धा थे. जीजाबाई उनकी पहली पत्नी थीं. शादी के बाद जीजाबाई और शाहजी भोसले को 8 संताने हुईं, जिनमें 6 बेटियां और 2 बेटे थे. उनके बेटे शिवाजी महाराज जीजाबाई के मार्गदर्शन में आगे चलकर महान मराठा शासक बनें और मराठा स्वराज की नींव रखी.

आदर्श माता थीं जीजाबाई

अपनी दूरदर्शिता के लिए मशहूर जीजाबाई एक वीरांगना होने के साथ-साथ आदर्श मां भी थीं. उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी महाराज को उत्तम परवरिश देते हुए उनके भीतर ऐसे गुणों का विकास किया, जिसके कारण आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज एक वीर, महान, साहसी, निर्भीक योद्धा, राष्ट्रभक्त और कुशल प्रशासक बने. जीजाबाई ने हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर शिवाजी में वीरता, धर्मनिष्ठा, धैर्य और मर्यादा जैसे उच्च गुणों का विकास किया.

उन्होंने शिवाजी महाराज को मातृभूमि, गौ, मानव जाति की रक्षा और महिलाओं का सम्मान करने की शिक्षा दी. जीजाबाई ने शिवाजी महाराज को तलवारबाजी, भाला चलाने की कला, घुड़सवारी, आत्मरक्षा, युद्ध-कौशल की शिक्षा में भी निपुण बनाया. यह भी पढ़ें: Rajmata Jijabai Jayanti 2020: राजमाता जीजाबाई की 422वीं जयंती 12 जनवरी को, जानें एक ऐसी वीरांगना की गाथा जिसने हर दुख सहकर शिवाजी को बनाया 'छत्रपति'

मराठा साम्राज्य की स्थापना 

जीजाबाई एक प्रभावी और बुद्धिमान महिला थीं, उन्होंने न सिर्फ मराठा साम्राज्य की स्थापना में अहम भूमिका निभाई, बल्कि मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत बनाने में भी अहम योगदान दिया. मराठा साम्राज्य और हिंदू साम्राज्य की स्थापना के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उनके त्याग, बलिदान, वीरता और दूरदर्शिता के कारण ही उन्हें आज भी वीर माता और राष्ट्रमाता के रूप में याद किया जाता है.

अपने कौशल और प्रतिभा के दम पर पुत्र शिवाजी महाराज को शूरवीर बनाने वाली जीजाबाई का निधन शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के कुछ दिनों बाद 17 जून 1674 को हुआ था. उनके निधन के बाद वीर शिवाजी ने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया. सही मायनों में राजमाता जीजाबाई का जीवन हर किसी के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है. उनकी देशभक्ति की भावना, शौर्य, त्याग और बलिदान की जितनी भी सराहना की जाए कम है.