Pradosh Vrat September 2024: रवि प्रदोष व्रत आज, यहां जानें कथा, पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी

Pradosh Vrat September 2024: आज आश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा, जो भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन शिव भक्त भगवान शिव की उपासना करते हैं, और पितृ पक्ष के दौरान प्रदोष का व्रत रखना विशेष फलदायी माना जाता है.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurt)

  • प्रदोष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 29 सितंबर 2024 को 04:47 PM
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 30 सितंबर 2024 को 07:06 PM
  • प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 06:09 बजे से शाम 08:34 बजे तक (अवधि - 02 घंटे 25 मिनट)

चौघड़िया मुहूर्त (Pradosh Vrat Puja Time Today)

  • लाभ: सुबह 09:12 से 10:42 बजे
  • अमृत: सुबह 10:42 से 12:11 बजे
  • शुभ: दोपहर 01:41 से 03:10 बजे
  • शुभ: शाम 06:09 से 07:40 बजे
  • अमृत: शाम 07:40 से 09:10 बजे

रवि प्रदोष पूजा विधि (Ravi Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  1. स्नान: पूजा से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें.
  2. पूजा सामग्री: शिव परिवार और अन्य देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें.
  3. व्रत संकल्प: पवित्र जल, फूल, और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें.
  4. दीप जलाना: संध्या के समय गोधूलि बेला में दीपक जलाएं.
  5. भगवान शिव का अभिषेक: शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें.
  6. आरती और कथा: शिव परिवार की पूजा के बाद रवि प्रदोष व्रत की कथा सुनें और घी के दीपक से आरती करें.
  7. जाप: अंत में "ॐ नमः शिवाय" का मंत्र-जाप करें और क्षमा प्रार्थना करें.

रवि प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)

इस व्रत की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है. एक बार एक दीन ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था. उसकी पत्नी नियमित रूप से प्रदोष व्रत करती थी. उनके पास एक पुत्र था, जो एक दिन गंगा स्नान करने गया. दुर्भाग्यवश, उसे चोरों ने पकड़ लिया और उनसे उसके पिता के गुप्त धन के बारे में पूछा.

बालक ने कहा कि उसके पास कुछ नहीं है, केवल उसकी मां ने उसे रोटियां दी हैं. चोरों ने उसकी दीनता देखकर उसे छोड़ दिया. लेकिन जब वह एक नगर में पहुंचा तो वहां के सिपाहियों ने उसे चोर समझकर राजा के पास ले गए.

ब्राह्मणी ने अपने पुत्र की चिंता करते हुए प्रदोष व्रत किया और भगवान शिव से प्रार्थना की. भगवान शिव ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और उसे बताया कि बालक निर्दोष है. राजा ने अगले दिन उस बालक को छोड़ दिया और उसके माता-पिता को दरबार में बुलाया. राजा ने उन्हें पांच गांव दान में दिए, जिससे वे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सके.

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं. विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.