Happy Navroz 2019: 17 अगस्त 2019 (शनिवार) का दिन भारत में रहने वाले पारसी समुदाय (Parsi Community) के लोगों के लिए बेहद खास है, क्योंकि इस दिन वो अपने नए साल (Parsi New Year) का शानदार तरीके से स्वागत करने वाले हैं. पारसी न्यू ईयर को नवरोज (Parsi New Year- Navroz) के नाम से भी जाना जाता है. पारसी कैलेंडर (Parsi Calendar) के नए साल का पहला दिन पारसी समुदाय के लिए बेहद खास होता है और इसे सेलिब्रेट करने के लिए काफी पहले से तैयारियां की जाती हैं. पारसी कैलेंडर के पहले महीने के पहले दिन को नवरोज यानी नया दिन कहा जाता है. इसके अलावा इसे पतेती और जमशेदी नवरोज (Jamshedi Navroz) के नाम से भी जाना जाता है.
दरअसल, नवरोज मनाने की परंपरा 3000 साल पुरानी है. आखिर क्या है इस दिवस का इतिहास (History and Significance of Navroz) और इस दिवस को पारसी समुदाय के लोग कैसे सेलिब्रेट करते हैं, चलिए जानते हैं.
3000 पुरानी है यह परंपरा
पारसी समुदाय का नया साल यानी नवरोज फारस के राजा जमशेद की याद में मनाया जाता है. कहा जाता है कि करीब 3000 साल पहले पारसी समुदाय के एक योद्धा जमशेद ने पहली बार इस पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी और तभी से नवरोज मनाने की परंपरा शुरु हुई थी. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, नवरोज वसंत ऋतु में उस दिन मनाया जाता है जब दिन और रात बराबर होते हैं.
क्या है नवरोज का महत्व ?
यह तो सभी जानते हैं कि एक साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन पारसियों में 1 साल 360 दिनों का होता है, जबकि 5 दिन गाथा के लिए होते हैं. साल खत्म होने से ठीक 5 दिन पहले इस समुदाय के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं. गाथा यानी पूर्वजों को याद करने का भी एक खास तरीका है. सुबह 3.30 बजे इसके लिए खास पूजा-अर्चना की जाती है. पूर्वजों को याद करने के अलावा अग्नि की भी खास पूजा की जाती है, क्योंकि पारसी समाज में अग्नि का विशेष महत्व है. यह भी पढ़ें: New Year 2019: जानें भारत में किस धर्म के लोग कब मनाते हैं नया साल, यहां न्यू ईयर के जश्न से जुड़ी हैं अलग-अलग मान्यताएं
कैसे मनाया जाता है नया साल ?
नए साल का धूमधाम से स्वागत करने के लिए पारसी समुदाय के लोग अपने घर की साफ-सफाई करते हैं. घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है. इस दिन परिवार के सभी लोग जल्दी उठकर तैयार हो जाते हैं. इस दिन को अच्छे से सेलिब्रेट करने के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. घर आने वाले मेहमानों को मीठे में फालूदा खिलाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और पारंपरिक अंदाज में साथ मिलकर नवरोज मानते हैं. इस दिन पारसी मंदिर अगियारी में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं.
नवरोज से जुड़ी मान्यता
पारसी समुदाय के लोग देश के सबसे कम आबादी वाले अल्पसंख्यक समुदायों में से एक हैं, लेकिन उन्होंने अपनी सालों पुरानी परंपरा और सभ्यता को बरकरार रखा है. नवरोज जैसे त्योहार के जरिए उन्होंने अपनी परंपरा को जीवित रखा है. हालांकि नवरोज से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार, नए साल के पहले दिन पारसी समुदाय के लोग चंदन की लकड़ियों के टुकड़े को अपने घर में रखते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से चंदन की लकड़ियों की सुगंध हर ओर फैलती है और वातावरण शुद्ध होता है.