Padmini Ekadashi 2023: सनातन धर्म में योग निद्रा में जाने के पश्चात भगवान विष्णु को समर्पित पद्मिनी एकादशी का विशेष महात्म्य वर्णित है. पद्मिनी एकादशी को कमला एकादशी अथवा कामदा एकादशी भी कहते हैं. पद्मिनी एकादशी अधिकमास के दरम्यान ही पड़ती है, जो तीन साल में एक बार आती है. ज्योतिषियों के अनुसार पद्मिनी अथवा कमला एकादशी भगवान विष्णु की पत्नी माँ लक्ष्मी के नाम पर होने से इस दिन श्रीहरि के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा संयुक्त रूप से की जानी चाहिए. इसके अलावा इस दिन जातक को कुछ विशेष नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए. इस वर्ष 12 अगस्त 2023, शनिवार को पद्मिनी एकादशी व्रत पड़ रहा है. आइये जानते हैं सिलसिलेवार उन नियमों के बारे में...
* अन्य एकादशियों की तरह कमला यानी पद्मिनी एकादशी पर नमक एवं चावल का सेवन कत्तई नहीं करना चाहिए.
* पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को क्रोध, हिंसा, तनाव आदि से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इस वजह से आप शांत चित्त होकर पूजा नहीं कर सकेंगे. और पूजा में किसी भी प्रकार की त्रुटियां होने से पूजा को पूर्णता नहीं मिलती है. इसलिए मन को प्रसन्न रखकर ही श्रीहरि एवं लक्ष्मी की पूजा करें.
* जो जातक मोक्ष की प्राप्ति के लिए पद्मिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसे इस दिन दूध, दही अथवा इससे बने किसी भी व्यंजन का सेवन करने से बचना चाहिए
* पद्मिनी एकादशी का व्रत रख रहे जातक को दिन अथवा रात में बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए. फर्श पर कुछ बिछाकर सोना ही बेहतर परिणाम दिलाता है.
* पद्मिनी एकादशी के दिन पुष्प, धूप, नैवेद्य एवं मौसमी फल आवश्यक रूप से अर्पित करना चाहिए.
* पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को पीतल के बर्तन में खाने अथवा पानी पीने से बचना चाहिए. इसके साथ ही इस दिन किसी भी तरह का दाल, शहद एवं हरी सब्जियों का भी सेवन नहीं करना चाहिए.
* पद्म पुराण के अनुसार पद्मिनी एकादशी व्रत में फलों का सेवन भी वर्जित है. ज्योतिषियों के अनुसार इस एकादशी पर फलों का सेवन नहीं करने से जातक की पुत्र-प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है.
* वैसे तो भगवान श्रीहरि को समर्पित दिन बृहस्पतिवार के दिन बाल कटवाना अथवा कपड़ों पर साबुन लगाना वर्जित माना जाता है, ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार उन्हीं नियमों का पालन पद्मिनी एकादशी पर भी करना चाहिए, यानी इस दिन बाल कटवाना अथवा साबुन का प्रयोग वर्जित होता है.
* कमला अथवा पद्मिनी एकादशी के दिन तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवी तुलसी श्रीहरि का व्रत रखती हैं.