Nirjala Ekadashi 2022 Messages in Hindi: वैसे तो साल भर में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं, लेकिन इन सब में निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के व्रत को सबसे कठिन माना जाता है. हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी यानी भीमसैनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) का विशेष महत्व बताया जाता है. प्रचलित मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस की स्तिथि बनी हुई है. दरअसल, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 10 जून को सुबह 7.27 बजे तक है, फिर एकादशी तिथि शुरु हो जाएगी, जबकि 11 जून को एकादशी तिथि सुबह 5.46 बजे खत्म हो रही है. ऐसे में दोनों दिन एकादशी व्रत किया जा सकता है, लेकिन ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, 11 जून को व्रत रखना शुभ फलदायी माना जा रहा है.
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है और कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है. इस एकादशी पर लोग एक-दूसरे को शुभकामना संदेश भी भेजते हैं. ऐसे में आप भी इस खास अवसर पर इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स और जीआईएफ ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों को निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्नानाभं सुरेशं।
विश्वधारं गगनसद्शं मेघवर्णं शुभाड्गमं।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
2- ताल बजे, मृदंग बजे, ,
बजे हरी की वीणा,
जय राम, जय राम कृष्ण हरी.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
3- विष्णु जिनका नाम है,
वैकुंठ जिनका धाम है,
जगत के पालनहार को,
हमारा शत-शत प्रणाम है.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
4- दो नयनों में क्यों रहे,
निरंतर चर्तुर्मास,
एकादशी है निर्जला,
रख लो तुम उपवास.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
5- विष्णु की माया बन जाऊं,
एक अनकही कहानी बन जाऊं,
मेरे भगवान की कृपा हो तो,
मैं निश्चल श्वेत मन की काया बन जाऊं.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
निर्जला एकादशी से जुड़े नियमों के अनुसार, निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान जल ग्रहण नहीं किया जाता है. इस दिन निर्जल रहकर व्रत किया जाता है और द्वादशी तिथि को पारण के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है, इसलिए इस व्रत को तमाम एकादशियों में सबसे कठिन माना जाता है. इस व्रत के प्रभाव से भक्तों को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.