Mohini Ekadashi 2022: भगवान विष्णु को स्त्री-रूप क्यों धारण करना पड़ा? जानें मोहिनी एकादशी व्रत का महात्म्य, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा!
भगवान विष्णु (Photo Credits: Facebook)

Mohini Ekadashi 2022: भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी रूप धारण किया था. इसलिए इस दिन मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि यह व्रत करने वालों के सारे कष्ट और पाप मिट जाते हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है, और जातक तमाम मोह-माया के जंजाल से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है. यह भी पढ़ें: Maharana Pratap Jayanti 2022: महाराणा प्रताप की जयंती, जानें मेवाड़ के 13वें राजपूत राजा के जीवन से जुड़ी अनसुनी रोचक बातें

मोहिनी एकादशी व्रत एवं पूजा विधि!   

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करने के पश्चात स्वच्छ एवं पीले रंग का वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत एवं मोहिनी एकादशी व्रत का संकल्प लेते हुए अपने लिए कामनाएं करें. पूरे दिन फलाहारी व्रत रखते हुए पूजा स्थल के पास पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें. अपने समक्ष एक चौकी रखें और उस पर लाल पीले रंग का आसन बिछाएं. इस पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें. शुद्ध घी का दीपक एवं धूप जलाकर भगवान विष्णु के इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करें.

ऊं नमोः नारायणाय. ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय।

अब भगवान विष्णु को पीला पुष्प, अक्षत, पीला चंदन, तुलसी के पत्ते, सुपारी, पान, खोये की मिठाई अर्पित करें. अब मोहिनी एकादशी व्रत की कथा सुनें अथवा सुनाएं. इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती उतारें. इस बात का ध्यान रहे, भगवान विष्णु तुलसी के पत्ते के बिना भोग नहीं स्वीकारते, इसलिए तुलसी के पत्ते अवश्य चढ़ाने चाहिए. एकादशी के दिन सोना वर्जित माना गया है. इसलिए विष्णु भगवान का कीर्तन-भजन आदि करें. अगले दिन यानी 13 मई को सुबह स्नान करने के पश्चात शुभ समय पर पारण करें.

मोहिनी एकादशी का महात्म्य!

नारद पुराण के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत पाने के लिए देव और दानवों के बीच घमासान छिड़ गया. एक दानव ने देवताओं का भेष धारण कर अमृत कलश लेकर भागा, अमृत का दुरुपयोग ना हो यह सोच कर भगवान विष्णु ने एक खूबसूरत स्त्री मोहिनी का वेष धरकर अमृत कलश प्राप्त कर देवों को पिला दिया, इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं. इस एकादशी को व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप कट जाते हैं और मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार मोहिनी एकादशी गुरुवार के दिन पड़ रहा है, और चूंकि गुरुवार भगवान विष्णु को समर्पित दिन माना जाता है, इसलिए इस बार की मोहिनी एकादशी का काफी महत्व बताया जा रहा है. मोहिनी एकादशी का व्रत एक हजार गऊ-दान के समान पुण्य मिलता है.

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त 

एकादशी प्रारंभः 07.31 PM (11 मई, बुधवार 2022) से

एकादशी समाप्तः 06.52 PM (12 मई, गुरुवार 2022) तक

उदया तिथि के आधार पर मोहिनी एकादशी का व्रत 12 मई गुरुवार को रखा जायेगा.

विशेष योगः रवि योग 05.32 AM से 07.30 PM तक (12 मई 2022)

पारणः 05.32 AM से 08.14 AM (13 मई 2022) तक

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में भद्रावती नामक सुंदर नगर में धनपाल नामक व्यक्ति रहता था, वह बहुत धनवान था. वह बहुत दान-पुण्य करने वाला व्यक्ति था. उसके कुल पांच पुत्र थे, जिसमें सबसे छोटा पुत्र धृष्ट बुद्धि ज्यादा लाड़-प्यार से बिगड़ गया था. वह अपने पिता के धन से खूब अय्याशी करता था. एक दिन धनपाल ने धृत बुद्धि को घर से बाहर निकाल दिया. घर से बाहर किये जाने से परेशान धृत बुद्धि परेशान हो इधर-उधर भटकने लगा. एक दिन वह महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पहुंचा. महर्षि गंगा में स्नान करके आए, तो धृत बुद्ध ने अपने दोनों हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया. महर्षि अपने तपोबल से धृत बुद्धि के मन की बात समझ गये. उन्होंने कौण्डिल्य से कहा, कि वह मोहिनी एकादशी का व्रत करे. धृत बुद्ध ने महर्षि के बताये अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत रखा और इस व्रत के पुण्य से उसके तमाम कष्ट नष्ट हो गये, और मृत्योपरांत वह श्री विष्णुधाम को चला गया.