Mahakavi Kalidas Diwas 2025: ‘महामूर्ख’ कुमार श्याम कैसे बने ‘महाकवि कालिदास’? जानें कालिदास के जीवन के ऐसे ही कुछ रोचक प्रसंग!
महाकवि कालिदास दिवस (Photo Credits: File Image)

Mahakavi Kalidas Diwas 2025: हिंदू पंचांग में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह दिवस देश के महान कवि कालीदास को समर्पित है. महाकवि कालिदास (Mahakavi Kalidas) जो महान संस्कृत कवि और नाटककार महाकवि कालिदास की स्मृति और काव्य प्रतिभा को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. इस दिन भारत में उनकी साहित्यिक विरासत को याद करने और युवा पीढ़ी को उनके कार्यों से प्रेरणा देने उद्देश्य से मनाया जाता है. इस वर्ष 26 जून 2025 को कालिदास दिवस (Mahakavi Kalidas Diwas) मनाया जाएगा. इस अवसर पर आइये बात करते हैं उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर…

कालिदासः महामूर्ख से महाकवि

कालिदास प्रारंभ में अशिक्षित और मूर्ख व्यक्ति थे. एकबार उसी नगर की विद्वान राजकुमारी विद्योतमा ने शपथ ली कि जो व्यक्ति शास्त्रार्थ में उन्हें पराजित कर देगा, वह उससे विवाह करेंगी. इस होड़ में कई विद्वान शास्त्रार्थ हार गये. इससे उन्हें अपमान महसूस हुआ. विद्वानों ने तय किया कि विद्योत्मा की शादी किसी मूर्ख से कराकर, अपमान का बदला लेंगे. एकबार उन्होंने देखा, एक व्यक्ति जिस डाल पर बैठा था, उसे ही काट रहा था. विद्वान उसे महान विद्वान बताकर विद्योतमा के पास लाए. शास्त्रार्थ के दौरान विद्योत्मा के हर सवाल का कालिदास ने मूर्खतापूर्ण जवाब दिया, मगर विद्वानों ने युक्तिपूर्वक कालिदास को विजेता साबित किया. दोनों का विवाह हो गया, लेकिन कालिदास की सच्चाई शीघ्र सामने आ गई. विद्योतमा ने उन्हें अपमानित कर घर से बाहर कर दिया. अपमानित कालिदास ने माँ काली की कड़ी तपस्या कर उनसे अपार ज्ञान प्राप्त किया, और महान कवि बने.

मां काली और ‘कालिदास’ नाम की उत्पत्ति

कहा जाता है कि कालिदास का मूल नाम कुमार श्याम था. बताया जाता है कि एक बार कालिदास ने माँ काली की कठोर तपस्या किया. माँ काली उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिया. कहते हैं कि मां काली ने कालिदास की जीभ पर ज्ञान का अमृत स्पर्श कराया. उसी क्षण से वह महान विद्वान बन गये, उन्होंने खुद को काली का दास मान लिया और उनका नाम कालिदास पड़ गया.

कालिदास की महान रचनाएं ?

कालिदास गुप्तकाल के संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे. उन्होंने भारत की भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं. कालिदास की सुप्रसिद्ध रचना अभिज्ञान शाकुंतलम, जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषा में अनुवाद हुआ था. मेघदूतम उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है, जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास ‘शिवपुराण; है.

कैसे बने कालिदास एक श्लोक से ‘उज्जयिनी के राजकवि’

एक बार उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने कई विद्वानों को दरबार से निकाल दिया और घोषणा की कि जो  व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ काव्य की रचना कर सकेगा, वही राजकवि बनेगा. कालिदास ने अपनी रचना ‘कुमारसंभवम्’ का निम्न श्लोक सुनाया.

"अस्ति उत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजः।"

कालिदास का यह श्लोक सुनकर विक्रमादित्य व सभी दरबारी स्तब्ध रह गये. उन्हें तत्काल राजकवि घोषित कर दिया गया.

भाषा और बुद्धि की सरलता

कालिदास की लगभग सभी रचनाओं में सरल भाषा में एक गूढ़ अर्थ छिपा होता था. एक बार उनसे पूछा गया कि वे इतने सुंदर उपमाएं कैसे गढ़ लेते हैं, तब उन्होंने बताया था कि ‘प्रकृति स्वयं कविता है, मैं केवल उसे देखता और शब्दों में ढालता हूं.’